जब तक गर्भवती महिला का उपचार शुरू नहीं हुआ तब तक कलेक्टर सोए नहीं

Munish Sharma, Editor in Chief, Vihan Hindustan

कई अफसर अपने काम की वजह से लोगों के दिलों में उतर जाते हैं। ऐसे ही एक कलेक्टर इंदौर आए थे राकेश श्रीवास्तव। उन्हें कलेक्टर इंदौर के पद पर ज्वाइन हुए दो-तीन दिन ही हुए होंगे तब की यह घटना है। आम लोगों को एक खुलासा यह भी करना चाहूंगा कि इंदौर में मीडिया या कुछ विशेष लोग अफसरों के काम करने का शुरुआत में परीक्षण भी करते हैं। वे अफसर के कामकाज को गहराई से देखते हैं। यहां भी कुछ ऐसा ही हो रहा था। महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने किसी विशेष व्यक्ति को फोन किया कि जिला अस्पताल में हम गर्भवती को लेकर खड़े हैं लेकिन कोई डॉक्टर यहां है ही नहीं। हमें एमवाय अस्पताल जाने का कहा जा रहा है लेकिन यहां एंबुलैंस भी नहीं है। उस व्यक्ति ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को नए कलेक्टर राकेश श्रीवास्तव का मोबाइल नंबर दिया और कहा इनसे बात करके सारी समस्या बताओ। उस आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने कलेक्टर को फोन किया तब रात के 12 बज गए थे। कलेक्टर ने फोन उठाया और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की पूरी बात सुनी। फिर उन्होंने जिला अस्पताल में कोशिश की लेकिन कुछ ही समय में उन्हें भी लग गया कि यहां समय देना व्यर्थ है। उन्होंने तुरंत ही एमवाय अस्पताल फोन करके एंबुलैंस भेजने को कहा तथा डॉक्टर की व्यवस्था कराई। फिर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को पुन: फोन करके एंबुलैंस व डॉक्टर के बारे में बताया। कुछ ही देर में एंबुलैंस भी आ गई और रात डेढ़ बजे गर्भवती का उपचार भी शुरू हो गया। रात तक कलेक्टर ने उस महिला के संबंध में डॉक्टर व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से जानकारी ली। ऐसा नहीं की यह एक ही मामला हो। राकेश श्रीवास्तव ने अपने पूरे कार्यकाल में आमजन से कुछ ऐसा ही व्यवहार रखा जिससे उन्हें यहां की जनता ने काफी पसंद भी किया। 

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