मुसलमानों के प्रति संदेह व घृणा को लेकर ये बोले संयुक्त राष्ट्र महासचिव जिनपिंग-मोदी के साथ कुछ इस्लामिक राष्ट्र को भी बनाया निशाना

विहान हिंदुस्तान न्यूज (मुनीष शर्मा)

पूरे विश्व में मुसलमानों के प्रति संदेह, भेदभाव और घृणा का माहौल बनता जा रहा है जो एक महामारी के स्तर तक पहुंच गया है। यह माहौल एशिया, अमेरिका से कहीं ज्यादा यूरोप में फैल रहा है। इससे मुस्लिम देशों की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है। संभवत: यहीं कारण है कि इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) इस तरफ ध्यान देने लगा है। ओआईसी में करीब 60 देश सदस्य हैं। इस संगठन ने 15 मार्च को इस्लामोफोबिया से मुकाबला करने के लिए अन्तराष्ट्रीय दिवस घोषित किया है।

इन देशों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने इशारों-इशारों में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों सहित उन देशों पर निशाना साधा जहां से मुस्लिमों में नाराजगी के बोल फूट रहे हैं। हालांकि बातों-बातों में गुटारेस ने उन मुस्लिम देशों को भी निशाने पर लिया जिनके यहां इस्लाम के नाम से कट्टरता फैलाई जा रही है जिससे आम लोग मारे जा रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने मुसलमानों के प्रति नफरत पर बयान दिया। उन्होंने कहा मैं इस्लामाकि सहयोग संगठन (ओआईसी) का शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने इस्लामोफोबिया, मुसलमान विरोधी कट्टरता और भेदभाव पर समय रहते ध्यान दिया। कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट में मानवाधिकार आयोग ने पाया कि मुसलमानों के प्रति संदेह भेदभाव और घृणा किसी महामारी के स्तर पर पहुंच गया है। इस रिपोर्ट में मुस्लिम विरोधी कट्टरता के कई आयामों पर प्रकाश डाला गया है। जहां मुस्लिम महिलाओं को तीन स्तर के भेदभाव का सामना करना पड़ता है जिसमें लिंग, जाति और धर्म है। गुटारेस का कहना है दुर्भाग्य से कई तरह के स्टीरियोटाइप को मीडिया और सत्ता में ताकतवर स्थान पर बैठे लोगों के जरिए भी बढ़ावा दिया गया है। मुस्लिम विरोधी कट्टरता बुरी चीजों के अनुरूप ही है जिन्हें हमने विश्वस्तर पर देखा है। जातीय राष्ट्रवाद, नव-नाजीवाद, घृणा फैलाने वाले भाषणों में मुसलमानों, यहूदियों कुछ अल्पसंख्यक ईसाई समुदायों को लक्षित किया गया। हमें ये भी याद रखना चाहिए कि संदेह और असहिष्णुता के कई मामले आंकड़ों में दर्ज नहीं हो पाते। लेकिन वो तमाम मामले हमारी गरिमा और मानवता को नीचा दिखाते हैं। गुटारेस ने कहा जैसे कि पवित्र कुरान हमें बताती है राष्ट्र और जनजातियों को एक-दूसरे को जानने के लिए बनाया गया ना की डराने के लिए। गुटारेस का इशारा उन कट्टर इस्लामिक देशों पर था जो इस्लाम के नाम पर आईएस और अलकायदा जैसी ताकतों को बढ़ावा दे रही है।

असल में आईएस का यूरोप में भी प्रकोप दिखने लगा है। सीरिया या इराक से भागे शरणार्थी यूरोप के कई देशों में बस गए हैं जिनमें आईएस के गुर्गे भी शामिल हैं। इनकी करतूतों के कारण स्थानीय देश की जनता आक्रोशित हो जाती है जिसका असर वहां बसने वाले मुसलमानों पर पड़ता है। खुद कई मुसलमान भी इन कट्टर ताकतों से नाराज हैं और यहीं कारण है कि समय पर वे खुद ही खड़े होकर इन ताकतों का मुकाबला करने लगे हैं। इन मुसलमानों का भी कहना है इस्लाम शांति-सद्भाव के लिए है।

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