वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर कठिन कार्य को भी सुगमता से हासिल किया जा सकता है- अखिलकुमार वर्मा

विहान हिंदुस्तान न्यूज

विज्ञान एवं तकनीकी के विकास में मानव जीवन के हर पहलू को न सिर्फ प्रभावित किया है अपितु प्रतिस्पर्धा को भी जन्म दिया है। प्रगति एवं विकास की इस होड़ ने जीवन में सफलता पाने के रास्ते दुष्कर बना दिये हैं लेकिन वहीं प्रतिस्पर्धा के इस दौर में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर कठिन से कठिन कार्यों को सुगमता से हासिल किया जा  सकता है। विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ अपना फोकस कम समय में बेहतर प्रदर्शन पर केंद्रित करें ताकि प्रतिस्पर्धा में सफलता प्राप्त कर सकें ।

यह बात अपर संचालक वित्त अखिलकुमार वर्मा ने कही। वे राज्य आदर्श शिक्षक मंच (रस्म) एवं आजाद अध्यापक शिक्षक संघ द्वारा अहिल्याश्रम शासकीय कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-2 में आयोजित विद्यार्थी मार्गदर्शन कार्यक्रम में बोल रहे थे। श्री ​वर्मा ने शिव खेड़ा की प्रसिद्ध किताब ‘जीत आपकी’ के उद्धरण देते हुए कुछ विशेषताओं का उल्लेख भी किया। उन्होंने बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं मे बेहतर प्रदर्शन करने के लिए बहुत सी बारीकियां तथा उपयुक्त रणनीति भी बताई ताकि वे सफलता के सोपानों पर आगे बढ़ सकें। कार्यक्रम में प्रसिद्ध के शिक्षाविद् और करियर मार्गदर्शक डॉ. जयंतीलाल भंडारी ने कहा कि देश में इस समय जिस तेजी से आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी विकास हो रहा है, उससे डिजिटल स्किल्स से सुसज्जित सभी स्ट्रीम्स के छात्रों के लिए करियर के मौके तेजी से बढ़ रहे हैं।

 डॉ. भंडारी ने कहा कि नए दौर में अब सफलता और बेहतर जॉब के लिए आईक्यू से ज्यादा नई स्किल्स सीखने की अहमियत है। कुछ समय पहले तक अच्छे करियर केवल इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे क्षेत्रों में  ही सफल माना जाता था लेकिन अब बेहतर सैलरी और  ग्रोथ के साथ  आफबीट कोर्सेज भी मेन स्ट्रीम करियर के विकल्प बनते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए दसवीं के बाद अपनी रुचि, योग्यता तथा क्षमता के अनुरूप उपयुक्त विषयों का चयन कर  उनकी अच्छी तैयारी के साथ उन विषयों से संबंधित डिजिटल स्किल्स को भी सीखा जाए, तो देश ही नहीं दुनिया भर में करियर की ऊंचाइयां प्राप्त की जा सकती है।

    विशेष अतिथि पत्रकार मयंक यादव ने कहा कि पढ़ाई के साथ आपको अन्य क्षेत्र में भी निपुण होना चाहिए क्योंकि बहुआयामी होना आपके लिए प्लस पॉइंट है। पहले अपना लक्ष्य निर्धारित कर लें फिर उसे प्राप्त करने के लिए पूरा प्रयास करें। अपने माता-पिता, गुरू का सदैव सम्मान करें । कुछ भी बनने के पूर्व सबसे अच्छा इंसान बने।

     विद्यार्थी मार्गदर्शन कार्यक्रम के संयोजक भगवतीप्रसाद पंडित ने  आयोजन के उद्देश्य और उसकी उपयोगिता बताते हुए कहा कि सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूलों में गाइडेंस देने से विद्यार्थी को लाभ मिल रहा है। प्रतिस्पर्धा में कैसे टिके रहें उसकी प्रेरणा मिल रही है । उन्हें नई शिक्षा नीति के बारे में जानकारी प्राप्त हो रही है । तात्कालिक घटनाक्रम से अवगत कराते हुए  उन्होंने कहा कि चांद पर तिरंगा फहराने के बाद पूरे विश्व में देश की तारीफ हो रही है। भारतीय प्रतिभाओं ने अपना लोहा मनवा लिया है। अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि जाग्रत हुई है। आप ही देश की भविष्य हैं। 

      सहसंयोजक कृष्णकांत आर्य ने कहा कि हमें अत्यंत खुशी है कि हमारा पांचवां आयोजन प्रदेश के छात्र संख्या की दृष्टि से सबसे बड़े सरकारी स्कूल में हो रहा है। यह कार्यक्रम निरन्तर जारी रहेगा। हमारे सरकारी स्कूलों में नैसर्गिक प्रतिभाओं की कमी नहीं है। सही मार्गदर्शन से उनमें और निखार आएगा। हम और विभाग के सभी लोग ऐसा ही प्रयास कर रहे हैं।

    विद्यालय के नवागत प्राचार्य दीपक हलवे का स्वागत भगवती पंडित, के. के. आर्य, गंगाराम प्रजापति तथा शाला के समस्त शिक्षकों ने किया। उन्हें पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया। श्री हलवे ने अपने उदबोधन में कहा कि विद्वान शिक्षाविदों के मार्गदर्शन से हमारे विद्यालय की बालिकाओं के सफलता प्राप्त करने का प्रतिशत बहुत बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यही समय है जब आपको ज्यादा मेहनत की आवश्यकता है। आपके लिए हमारा पूरा स्टाफ समर्पित है।

      विद्यालय की कक्षा 9,10 एवं 11 की टॉपर्स प्रथम- द्वितीय रैंक प्राप्त करने वाली 8 छात्राओं को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार दिए गए। अतिथियों ने सम्मानित कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। प्रश्नोत्तरी में कई छात्राओं ने डॉ. भंडारी से विभिन्न प्रश्न किये ।

   कार्यक्रम का प्रारम्भ माता सरस्वती के पूजन-वंदना से हुआ। दीप प्रज्जवलन के पश्चात अतिथियों का स्वागत दीपक हलवे, जितेन्द्र परेता, सुषमा राठौर, सुजाता जैन एवं स्टाफ सदस्यों ने किया। समस्त अतिथियों का परिचय भगवतीप्रसाद पंडित ने दिया। कार्यक्रम का संचालन  श्रीमती स्मिता जैन ने किया तथा आभार कृष्णकांत आर्य ने माना।

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