जम्मू-कश्मीर में आम आदमी पार्टी को झटका, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नासिर अली कोचक ने दिया इस्तीफा

नासिर अली कोचक

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज

गुजरात और दिल्ली के चुनावों में जहां एक तरफ आम आदमी पार्टी (आप) अपनी पूरी ताकत झोंक रही है वहीं उसे जम्मू-कश्मीर में बड़ा झटका लगा है। यहां पार्टी के पूर्व अध्यक्ष व कन्विनियर नासिर अली कोचक ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यही नहीं कोचक ने अपनी नई पार्टी ऑल अलायंस डेमोक्रेटिक पार्टी (एएडीपी) बनाई है जिसमें आप पार्टी के काफी कार्यकर्ता जा रहे हैं हालांकि पार्टी के कुछ वरिष्ठ सदस्य जरूर कश्मीर में जम गए हैं ताकि हालात न बिगड़े। अरविंद केजरीवाल या आप पार्टी के पोस्टर भी यहां से निकाले जा रहे हैं।

आप पार्टी छो़ड़ने वाले कार्यकर्ता पार्टी के बैनर-पोस्टर निकालते हुए।

नासिर अली कोचक पिछले पांच सालों से आप पार्टी से जुड़े थे। इस सीनियर लीडर ने घाटी का लगातार दौरा करके पार्टी में सदस्यों की संख्या बढ़ा दी थी और यह काम जारी था। आप पार्टी को फायदा यह हो रहा था कि स्थानीय लोग नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस से नाराज थे और भाजपा से कुछ दूरी बनाकर चल रहे थे। ऐसे में उन्हें आप पार्टी से उम्मीद हो गई थी। चूंकि नासिर अली कोचक ने ही एकाएक पार्टी छोड़ दी तो यह आप पार्टी के लिए प्रश्नचिह्न लगाने जैसा हो गया। इसका फायदा भाजपा के अलावा गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी को मिल सकता है। चूंकि भाजपा ने पिछले कुछ दिनों में अपनी पैठ यहां काफी मजबूत की है जब से गुज्जर व बकरवाल जनजाति के लोगों को आर​क्षण का लाभ देना तय हुआ। गुलाम नबी आजाद की स्वच्छ छवि के चलते यहां की जनता फिलहाल उनकी तरफ देख तो रही है लेकिन पार्टी को वोट देगी अभी कहना जल्दबाजी होगा।

सलाउद्दीन खान से नाराजगी बड़ा कारण

बताया जा रहा है कि आप पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश के निवासी सलाउद्दीन खान को जम्मू-कश्मीर का ऑब्जर्वर बनाकर भेजा। सलाउद्दीन खान के साथ आप पार्टी के कई पदाधिकारियों की जम नहीं रही है। बताया जाता है सलाउद्दीन खान की कार्यशैली जम्मू-कश्मीर के लोगो के साथ मेल नहीं खा  पा रही है। कटाक्ष करने वाले सलाउद्दीन खान के व्यवसाय को उनके स्वभाव से जोड़कर बताते हैं। सलाउद्दीन खान का कबाड़ का कारोबार बताया जाता है। विहान हिंदुस्तान डॉटकॉम से बात करते हुए नासिर अली कोचक ने कहा मैंने आप पार्टी को जम्मू-कश्मीर में बढ़ाने के लिए काफी मेहनत की है लेकिन कुछ कारण ऐसे हैं जिससे अब यहां रूकना मुनासिब नहीं था। पार्टी नेतृत्व अरविंद केजरीवाल की कार्यशैली तो ठीक है लेकिन दूसरी लाइन पार्टी के लिए हानिकारक है।

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