वह करीब आठ साल का है। नाम है उसका अयान। अयान यानि गिफ्ट आफ गॉड, कुल मिलाकर कहें अल्लाह का फरिश्ता। यह नन्हा पिछले पांच सालों से अपनी खाला के पास रहता है क्योंकि एक दुर्घटना में उसके अब्बू-अम्मी नहीं रहे। इस दुर्घटना में अयान की आंखें भी चली गई। खाला को अयान के जन्म से ही उससे बड़ा प्रेम था। वह उसे गोद में ले-लेकर घूमा करती थी। उस समय तो खाला का निकाह भी नहीं हुआ था। खाला के लिए अयान लकी भी था क्योंकि उसे घूमाते हुए ही उन्हें रियाज मियां जो मिले थे। अयान को खिलाने के नाम पर रियाज मियां ने खाला से दोस्ती बढ़ाई और फिर एक दिन निकाह का प्रस्ताव रख दिया। वैसे रियाज मियां भी अयान का बहुत ध्यान रखते हैं। जिस गांव में यह परिवार रहता है वह गांव चारों तरफ से पहाड़ से घिरा है। प्राकृतिक सौंदर्य तो यहां देखते ही नहीं बनता। एक पहाड़ से नदी निकलती है जहां झरना पूरे बारह महीने गिरता रहता है। जिस दिन दुर्घटना हुई थी उस दिन खाला बहुत रोई थी। अपने भाई-भाभी के जाने से ज्यादा गम अयान की आंखें चली जाने का था। वह हर समय अयान को अपनी आंखों के सामने ही रखती थी। ऐसा करने से अयान अन्य बच्चों के साथ खेल नहीं पाता था। सभी जंगल में जाकर पेड़ों पर चढ़ते, फल तोड़ते, नदी में नहाते, पहाड़ों पर घूमते लेकिन अयान था कि खाला के आसपास ही रहता था। जब बच्चे वापस लौटकर आते तो अयान उनकी बातें सुनकर बहुत खुश होता। वह ऐसा महसूस करता था जैसे वह भी उनके साथ पूरे समय मौजूद रहा था। हालांकि जब बच्चे अपने-अपने घर चले जाते और वह अकेला रहता तब उसके मन में यहीं ख्याल आता काश मेरी भी आंखें होती। एक दिन उसने अपनी खाला से पूछ ही लिया..मेरी आंखें अल्लाह ने क्यों छीन ली? खाला कुछ कहती उससे पहले ही अजान हो गई। सिर पर दुपट्टा डाले खाला मौन खड़ी रही। अयान को भी मालूम था अजान के समय कुछ कहना नहीं है। उसका कुछ मिनट मौन रहना जैसे खाला के लिए एक कठिन इम्तिहान पास करने जैसा था क्योंकि उसके पास अयान की बातों का जवाब जो नहीं था।
उस दिन अयान की बात ने जैसे खाला को झंकझोंर दिया। खाला ने अपने शौहर रियाज मियां को अयान की बातें बताई। उस रात दोनों खूब रोएं। उनकी रोने की आवाज अयान को सुनाई दे गई। वह बाहर खाट पर सोया था लेकिन खाला की सिसकियां मानों खुद उसके कानों तक पहुंच गई। वह अंदर आया और खाला की गोद में बैठ गया। कहने लगा, खाला तुम परेशान मत हो। मैं एक दिन देखने लगूंगा। मैं जब आपसे कह रहा था न कि मेरी आंखें अल्लाह ने छीन क्यों ली तब आसमान में मझे एक रोशनी नजर आई। मैं तब से बार-बार उस रोशनी को देख रहा हूं। खाला ने अयान को गोद में लपेटते हुए कहां मेरा बेटा..। तू देख नहीं सकता तो फिर तुझे रोशनी कैसे दिख सकती है। अयान ने कहा, खाला मेरे साथ बाहर चलों मैं दिखाता हूं। खाला व उनका शौहर दोनों अयान के साथ बाहर आए। अयान ने आसमान की तरफ इशारा करते हुए कहा वो देखों..रोशनी। खाला व रियाज मियां दोनों ने ऊपर देखा, फिर दोनों एक-दूसरे को देखने लगे। अयान के सिर पर हाथ रखकर रियाज मियां बोले – अयान हमें कुछ नहीं दिख रहा है। तुम्हारा भी यह भ्रम है। अब तुम सो जाओं कल तुम्हें हम जंगल घूमाने ले चलेंगे। रियाज मियां की बात सुनकर अयान को खुशी भी हुई और दुख भी हुआ। दुख इस बात का कि उसकी रोशनी वाली बात दोनों ने सिरे से खारिज कर दी और खुशी इस बात की कि कल वह जंगल जाने वाला है।
रातभर अयान खाट पर लेटे-लेटे रोशनी को देख रहा था। रोशनी भी जैसे बादलों को चीरकर अयान से बातें कर रही थी। रोशनी ने अयान को जैसे संकेत दिया कि अब नमाज-ए-फज्र का समय हो गया है। उसने तुरंत ही वजू बनाने की तैयारी की लेकिन उसे हैंडपंप तक जाने में हर बार किसी का सहारा चाहिए होता था। उसने तय किया वह स्वयं ही हैंडपंप तक जाएगा। जैसे ही वह हैंडपंप की तरफ बढ़ा तो जो रोशनी उसे आसमान में दिखती थी वह जमीन पर आ गई। मानों वह उसे रास्ता बताने लगी। हैंडपंप पर पहुंचकर जैसे ही अयान खड़ा हुआ पंप खुद पानी उगलने लगा। अयान ने वजू बनाया और नमाज पढ़ने आ गया। इसके बाद वह रोशनी उसे जंगल की तरफ ले गई। नदी को पार करवाकर उस रोशनी ने पहाड़ पर अयान को चढ़ने की बात कहीं। रोशनी की बात को अयान मानता गया और वैसा ही करता गया। पहाड़ पर चढ़कर जब तक वह ऊपर पहुंचता तब तक जुहर की नमाज का समय हो गया। वजू बनाने के लिए अयान कुछ सोचता इतने में एक आवाज आई, मैं पानी लेकर खड़ा हूं, तुम वजू बना लों। अयान ने कुछ डरते हुए पूछा आप कौन हैं? आवाज आई – रोशनी के पीछे-पीछे जंगल से नदी पार करके पहाड़ पर आ गए तब डर नहीं लगा और अब मेरी आवाज सुनकर डर गए? अयान ने कहा – जो रोशनी मुझे यहां तक लाई वह अल्लाह थे। अयान का इतना बोलना हुआ कि एक जोरदार हंसी की आवाज आई, फिर कहने लगे जब तुमने समझ लिया अल्लाह तुम्हें यहां तक लेकर आए हैं तो फिर मुझसे डरने की जरूरत नहीं क्योंकि अल्लाह तो तुम्हारे साथ है। अयान ने उस आवाज के साथ सिर हिलाकर अपनी हामी भरी। फिर पूछा, अल्लाह मेरे साथ हैं तो फिर मेरी आंखों की रोशनी क्यों नहीं दे रहे हैं? आवाज आई, वजू कर लों..नमाज पढ़ना है। अयान ने नमाज पढ़ी और दुआ की। आंखें खोली तो पहाड़ से उस रोशनी को फिर से बादलों के बीच जाते हुए देखा। दूर तक वह रोशनी दिखती रही। फिर नजर वापस जब जमीन पर आने लगी तो उसे बादल, पहाड़, पेड़, झरना सभी दिखने लग गए। अयान बड़ा खुश हुआ कि उसे वापस दिखने लग गया है। वह दौड़ता हुआ अपने घर की तरफ निकल पड़ा। रास्ते में उसके साथ हिरण और खरगोश के बच्चे भी दौड़ लगाने लगे। समा ऐसा हो रहा था जैसे जंगली जानवर, पेड़-पौधे, धरती, आसमान सभी उसकी खुशी में साथ हैं। भागते-भागते जब अयान गांव के मुहाने पर आया तो भीड़ इकट्ठा देख एकदम रूक गया। उसे ढूढ़ने के लिए पूरा गांव इकट्ठा हो गया था जो जंगल की तरफ ही बढ़ रहा था। उसने खाला को देखा और जोर से चिल्लाया, खाला मैं देख सकता हूं। सबकुछ देख सकता हूं। अल्लाह पाक आए थे, मुझे रोशनी देकर गए। मैं सभी को देख सकता हूं। पूरा गांव इस बात से खुश हो गया। खाला ने अयान को गोद में उठा लिया और उसे चूमने लगी। गांव के लोगों ने अयान की आंखें वापस आने पर अल्लाह को शुक्रिया किया। रात में दावत भी तय की गई।

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