अडानी पर एलआईसी का शिकंजा, नार्वे की बैंक ने भी निकाली पूंजी…अब गौतम हिंडनबर्ग से अमेरिका में करेंगे सामना

विहान हिंदुस्तान न्यूज

भारतीय शेयर मार्केट में हिचकोले खा रहे गौतम अडानी के शेयरों में कुछ समय और स्थिरता आने की संभावना नहीं है। अमेरिकी फॉरेंसिक फाइनेंशियल कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी की मुश्किले बढ़ गई है। नार्वे के सॉवरिन फंड नॉर्जेस बैंक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट ने अडानी समूह में निवेश की गई अपनी पूरी पूंजी निकाल ली है जबकि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अडानी समूह से जुड़े वित्तीय संकट पर उनके शीर्ष अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगेंगी। उधर, अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग से अमेरिकी न्यायालय में दो-दो हाथ करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए अडानी ग्रुप ने अमेरिका की लीगल फर्म वॉचटेल को हायर किया है। वॉचटेल विवादित मामलों में फाइट करने के मामले में दुनिया में अपनी अलग ही पहचान बना चुकी है।

एलआईसी के अध्यक्ष एम.आर. कुमार ने बताया है कि एलआईसी के शीर्ष अधिकारी जल्द ही अडानी समूह से जुड़े वित्तीय संकट पर उनके शीर्ष अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगेंगे। एम.आर. कुमार ने एक मीडिया समूह को बताया है कि एलआईसी की इन्वेस्टमेंट टीम पहले ही अडानी समूह से इस बारे में सवाल-जवाब कर चुकी है लेकिन उनका शीर्ष प्रबंधन भी उनसे संपर्क कर सकता है। कुमार ने कहा हम जल्द ही फोन करके उनसे कहेंगे कि वे हमसे मिलकर इस बारे में स्पष्टीकरण दें। उनका कहना है कि हम यह चाहते हैं कि बाजार और इस समूह में क्या हो रहा है। हम उन्हें जल्द ही पूछेंगे कि वे इस संकट का सामना कैसे कर रहे हैं। वैसे कुमार ने ये भी स्पष्ट किया है कि एलआईसी अडानी समूह से अपना निवेश खत्म करने को लेकर विचार नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि एलआईसी दशकों से इस समूह की दो कंपनियों एसीसी व अंबुजा सीमेंट में निवेश कर रहा है जिसे अडानी ग्रुप ने बाद में खरीद लिया।

उधर, अडानी समूह के लिए मुश्किल नार्वे की तरफ से आ रही है। जानकारी आ रही है कि नॉर्वे के सॉवरिन फंड नॉर्जेस बैंक इन्वेस्टमेंट मैनेज़मेंट ने अडानी समूह में निवेश की गई अपनी पूरी पूंजी निकाल ली है। ये दुनिया के सबसे बड़े सॉवरिन फंड्स में शामिल है और इसकी संपत्ति 1.3 ट्रिलियन डॉलर है जो भारतीय बाज़ार पूंजी का लगभग 40 फीसद है। इस फंड ने अडानी समूह में 200 मिलियन डॉलर क़ीमत के शेयर बेच दिए हैं। इसके साथ ही अडानी समूह को कर्ज़ देने वाले विदेशी बैंकों में शामिल बार्केलेज बैंक ने इस समूह में अपने निवेश को कम करने की दिशा में संभावित कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भारत के एक मीडिया समूह से कहा है कि इस समूह की खराब रिपोर्ट आने की वजहों से कुछ बड़े निवेशकों ने इस भारतीय समूह में निवेश को लेकर चिंता जताई है। इस वजह से संभवत: बैंक ने अडानी समूह में अपना निवेश कम करने का फ़ैसला किया हो।

आपको बता दें कि 9 बड़े विदेशी बैंकों ने अडानी समूह को लगभग 5.25 अरब डॉलर का कर्ज़ दिया है जो कि एसीसी, अंबुजा सीमेंट अधिग्रहण की आधी कीमत थी। बार्कलेज़ ने अडानी समूह को कितना पैसा उधार दिया है, इसकी स्पष्ट जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है लेकिन ये रकम 750 मिलियन डॉलर बताई जाती है। बार्कलेज़ के अलावा अडानी समूह को कर्ज देने वाले विदेशी बैंकों में जापान के एमयूएफ़जी, सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन और स्टेंडर्ड चार्टेर्ड शामिल बताए जाते हैं। पिछले लगभग 15 दिनों से भारतीय शेयर बाज़ार को हिचकोले खिलाने वाला अडानी समूह का संकट अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। बताया जाता है सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने का फ़ैसला किया है। कुल मिलाकर अडानी समूह को फिर से निवेशकों में विश्वास जताने में काफी समय लगेगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि निवेशकों में विश्वास जताने के लिए ​ही हिंडनबर्ग से कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है ताकि जब तक लड़ाई चलेगी तब तक लोगों में अडानी ग्रुप को लेकर विश्वास भी बना रहेगा। अडानी ग्रुप के पास बंदरगाहों, एयरपोर्ट्स, सीमेंट सप्लाई सहित कई ऐसे काम है जिससे उन्हें कैश फ्लो की दिक्कत नहीं होगी।

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