अपनी कुछ संपत्तियों को बेच सकता है अडानी समूह
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मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद सदमे में आए गौतम अडानी को आने वाले कुछ दिनों में कड़े निर्णय लेने पड़ सकते हैं। इन निर्णयों में उन्हें अपनी कुछ संपत्तियों को बेचने जैसे कड़े फैसले भी लेने पड़ सकते हैं। बताया जाता है इसकी तैयारी भी अडानी ग्रुप करने लगा है हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
साल 1978 में 100 रुपये लेकर मुंबई पहुंचे अडानी के कारण आज मुंबई का शेयर मार्केट सकते में है। पिछले कुछ दिनों में इस मार्केट ने काफी उतार देखें हैं। खुद गौतम अडानी को यह उतार देखना पड़ रहा है। एक हफ्ते पहले उनकी कंपनी की कुल संपत्ति 220 अरब डॉलर थी लेकिन एक सप्ताह में ही यह आधी हो गई। ये संपत्तियां दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद सहित कई शहरों और विदेशों में है। अब उनके सामने जो कठिन परिस्थिति शुरू हुई है वह फिर से बिजनेस में खड़े होने की है जिस मुकाम पर वे थे। उनके सामने समस्या निवेशकों का विश्वास जीतने की है। असल में उनकी कंपनी के शेयरों की गिरती कीमतें तकलीफे दे रही है। शेयर के मूल्य तभी गिरते हैं जब निवेशकों का कंपनी से विश्वास डगमगाता है। यह तब और ज्यादा डगमगाता दिखा जब अडानी ग्रुप ने 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ वापस लेने का फैसला किया।
2 लाख करोड़ रुपये का है कर्ज
अडानी की कंपनियों के ऊपर अभी 2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। ऐसे में उन्हें कर्ज तो चुकाना ही होगा साथ ही अपनी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को भी आगे बढ़ाना होगा। ऐसे में पैसा आएगा कहां है यह सभी के लिए खासकर निवेशकों के लिए जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। अभी तक अडानी बैंकों से लोन लेकर अपना कारोबार बढ़ाते रहे हैं। ऐसे में उन्हें फिर से कोई बैंक बड़ा लोन देगा यह मुश्किल है। जो बैंक लोन देंगे भी तो उसकी ब्याज दर क्या होगी यह भी ध्यान देने वाली बात होगी। अडानी की कंपनियों को अधिकांश लोन विदेशी बैंकों से मिले हैं लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का असर पूरे विश्व में ही हुआ है। ऐसे में विदेशी बैंक अडानी पर कितना विश्वास करेगी यह भी जानने योग्य है। यह तो तय माना जा रहा है कि उन्हें बढ़ी हुई ब्याज दर पर ही लोन मिलेगा।
एक साल बाद लोकसभा चुनाव, मदद करना मुश्किल
यह कहा जाता रहा है कि गौतम अडानी के सरकार में बैठे कुछ लोगों से काफी अच्छे संबंध हैं हालांकि सरकार में बैठे लोग इसे विपक्ष का दुष्प्रचार बताते रहे है। अडानी का ग्राफ नीचे गिरने से विपक्ष ने भी जोर-शोर से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यदि सरकार में बैठे किसी व्यक्ति का अडानी पर हाथ भी है तो उसके द्वारा अडानी की ऐसे समय मदद करना आग से खेलने जैसा होगा क्योंकि अगले साल लोकसभा चुनाव जो होना है। अडानी समूह के साथ अच्छी बात यह है कि देश के कई एयरपोर्ट व बंदरगाहों का कामकाज उनके पास है। सीमेंट सहित कुछ अन्य फैक्टरियां भी है जिससे इनकम होती रहेगी। ऐसे में एकदम से अडानी समूह जमीन पर आ जाएगा यह कहना मुनासिब नहीं होगा। यह बात जरूर है कि देश के ही कई उद्योगपतियों के कई घोषित-अघोषित वार से भी उन्हें बचना होगा जो उनके बचे हुए व्यापार को भी खत्म करना चाहेंगे। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि अडानी की एकदम से ऊंची उड़ान के चलते ये उद्योगपति भी चिंतित हो गए थे। अब अडानी को नए ठेके लेने में भी दिक्कते जरूर आएगी। एक महत्वपूर्ण बात यह आ रही है कि आने वाले दिनों में कमोडिटी मार्केट में भी उठापटक देखी जा सकती है।