अधूरी नहर पूरी बताकर दो करोड़ रु. किए हजम, प्रकरण दर्ज…

इंदिरा सागर परियोजना मुख्य नहर में घपले का मामला सामने आया है। मामले की जांच ईओडब्ल्यू ने करते हुए शिकायत को सही पाया और हाल ही में प्रकरण दर्ज किया है। इसमें अधूरी नहर को पूरी बताकर सरकारी खाते से गलत तरीके से दो करोड़ रु. से ज्यादा निकाल लिए गए थे जिसकी शिकायत के बाद जांच हुई। विशेष बात यह है कि इस पूरे मामले में सात से ज्यादा अधिकारियों व ठेकेदार पर प्रकरण दर्ज किए गए। इस पूरे मामले की शिकायत बालाघाट जिले की लांजी विधानसभा के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने की थी।

परियोजना के तहत 96.030 से 107.330 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाना थी जिसका काम नर्मदा घाटी विकास संभाग क्रमांक 24 खरगोन जिला के मार्गदर्शन में ठेकेदार एजेंसी करण डेवलपमेंट सर्विसेस प्रायवेट लिमिटेड को किया जाना था। अनुबंध राशि 23.97 करोड़ रुपए थी जिसके बाद अनुबंध पुनरीक्षित कर इसे 25.55 करोड़ रुपए कर दिया गया। पाया जा रहा था कि शुरुआत से ही ठेकेदार कंपनी को अफसर मदद करने लग गए थे जिसे अनुबंध पत्र से ही परखा जा सकता है। अनुबंध 8 मार्च 2007 को हुआ था जिसमें 30 माह में कार्य पूर्ण करना था। बाद में समयावधि बढ़ाई गई जिसे 43 माह 23 दिन कर दिया गया। इस प्रकरण में अधिकारियों की मिलीभगत साफ-साफ नजर आती है। ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन कार्यपालन यंत्री एन.के. तिवारी, कार्यपालन यंत्री यू.के. पसारिया, तत्कालीन सहायक यंत्री (मैदानी क्रमांक 2) एस.के. खजरे, तत्कालीन सहायक यंत्री एच.एन. मलगाया, तत्कालीन उपयंत्री जे.एन. पुराणिक, तत्कालीन उपयंत्री एच.एल. बामनिया, डायरेक्टर करण डेवलमेंट सर्विसेस प्रायवेट लिमिटेड और अन्य संबंधित संलिप्त व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।

ये कार्य अपूर्ण थे

नहर खुदाई और भराई के काम के अलावा ११ नग सीमेंट कांक्रीट के पक्के कार्य का निर्माण तथा पेवर मशीन द्वारा लाइनिंग का कार्य पूर्ण ही नहीं किया गया था। विशेष बात तो यह थी की इसकी प्रतिलिपि अधीक्षण यंत्री को भी दी गई थी लेकिन उनकी तरफ से भी इस प्रति को नजरअंदाज कर दिया गया। अपूर्ण कार्य को पूर्ण बताने के लिए तत्कालीन कार्यपालन यंत्री एन.के. तिवारी की महति भूमिका थी जिसमें उनका साथ एस.के. खंजरे व एच.एन. नलगया ने भी दिया। तत्कालीन उपयंत्री ने 23 अक्टूबर 20१0 को अपूर्ण कार्य को पूर्ण बताकर कार्य पूर्ण का प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

..और निकाल ली 1.84 करोड़ रुपये की सुरक्षा निधि

इस मामले में 5 मई 2013 को ठेकेदार द्वारा कार्यपालन यंत्री को पत्र लिखकर अपूर्ण कार्य को पूर्ण बताते हुए कार्य का अंतिम बिल भुगतान का आवेदन दिया गया। प्रमाण पत्र जारी होते ही 1.84 करोड़ रुपये सुरक्षा राशि रिलीज भी कर दी गई। तत्कालीन कार्यपालन यंत्री यू.के. पटसारिया नर्मदा घाटी विकास संभाग खरगोन में 2012 से निरंतर पदस्थ थे। एन.के. तिवारी तत्कालीन कार्यपालन यंत्री दिनांक 6 जुलाई 2010 से 29 जून 2012 तक पदस्थ थे।

नोटशीट पर लिखा था कार्य अपूर्ण है

विभाग के ही सहायक यंत्री जे.पी. लहाड़िया ने 5 जनवरी 2011 को एक नोटशीट लिखी जिसमें स्पष्ट किया था कि काम अपूर्ण है। नहर खुदाई व भराई, 11 नग सीमेंट कांक्रीट के पक्के कार्य का निर्माण एवं पेवर मशीन द्वारा लाइनिंग का कार्य अभी होना है। इसकी प्रतिलिपि अधीक्षण यंत्री को भी दी गई थी लेकिन ठेकेदार का पॉवर सभी पर भारी पड़ा।

रायल्टी प्रमाण पत्र भी नहीं दिया, कागजों में हेरफेर अलग

ठेकेदार कंपनी से रायल्टी प्रमाण पत्र भी मांगा गया था लेकिन ठेकेदार ने यह सर्टिफिकेट नहीं दिया। ठेकेदार का पॉवर ही था कि उसने अधूरे कार्य को पूरा बताने के साथ ही रायल्टी प्रमाण पत्र जमा नहीं करने के बावजूद पूरा भुगतान ले लिया। एक रोचक बात यह भी आई इस प्रकरण में की कागजों में भी अधिकारियों ने हेरफेर किए। जांच में एमबी बुक क्रमांक 553 को भी चेक किया गया जिसके पहले पृष्ठ व इंडेक्स को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी पेज जो एक से सौ तक है सभी में छेड़छाड़ की गई। इसे मालगिया द्वारा लिखा गया।

अन्य मदों से भी करीब 55 लाख रुपये की वसूली होना है

ईओडब्लूय ने जांच में पाया कि विभाग ने अनुबंध की शर्त क्रमांक 4.3, 13.2 का खुला उल्लंघन करते हुए सुरक्षा निधि 1.87 करोड़ 8 मई 2013 को जारी कर दी गई जबकि ठेकेदार से विभिन्न मदों के तहत 54.63 लाख रु. की वसूली बाकी थी। नियम के अनुसार कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र जारी होने के 12 माह बाद ही या कार्य के अंतिम भुगतान के बाद ही 50 प्रतिशत सुरक्षा राशि दिए जाने का प्रावधान है लेकिन यहां इस नियम को भी ताक में रखा गया। विभाग ने ठेकेदार के साथ मिलकर 54.63 लाख रु. की राजस्व हानि भी पहुंचाई है। आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 474, 477 (क), 120बी, 13 (डी) के तहत 1988 संशोधन अधिनियम 2018 की धारा 7 (सी) के अंतर्गत प्रथम दृष्टया अपराध सिद्ध पाया गया। अपराध पंजीबद्ध किया गया है।

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