भाजपा राम के सहारे तो अखिलेश ने जिन्ना के जिन्न को किया आगे, आरएलडी से किया गठबंधन

विहान हिंदुस्तान न्यूज
उत्तर प्रदेश में चुनाव भले ही अगले साल की शुरुआत में हो लेकिन यहां चुनावी मौसम एकाएक गरम हो गया है। भाजपा ने राम के सहारे ही आगे बढ़ने का फैसला किया है तो अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी को सफलता दिलाने के लिए जिन्ना के जिन्न को बाहर निकाल लिया है। बसपा, भाजपा व कांग्रेस को तोड़ने में लगे अखिलेश ने राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है। मुलायम के बेटे ने एक ऐलान यह भी कर दिया है कि वे खुद 2022 में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे।
पश्चिम बंगाल में ममता बैनर्जी ने भाजपा को जो मात दी उससे अखिलेश सीख लेकर आगे बढ़ रहे हैं। वे बसपा या कांग्रेस पर भरोसा करने के बजाय छोटे दलों से गठबंधन करना चाह रहे हैं। चाचा शिवपाल यादव के साथ आने से भी उन्हें कोई गुरैज नहीं है। अखिलेश ने मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए जिन्ना को मैदान में ला खड़ा किया है जिसे लेकर भाजपा उनपर निशान बना रही है। सोची-समझी राजनीति के तहत अखिलेश ने जिन्ना का नाम लेते हुए उन्हें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू व सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में खड़ा किया। अखिलेश मुस्लिम वोटो को बिखरने देना नहीं चाहते हैं और समाजवादी पार्टी के साथ भाजपा सरकार के कामकाज से नाराज लोगों को भी वे अपनी तरफ खींचना चाहते हैं। असदुद्दीन औवेसी के आने से मुस्लिम वोट बैंक बिखरता है जिसका फायदा भाजपा व उसके साथ गठबंधन करने वाली पार्टियों को मिल जाता है। अखिलेश यही नहीं होने देना चाहते हैं जिससे उन्होंने जिन्ना को गांधी-नेहरू-पटेल के साथ खड़ा तो किया लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर ही अपनी बात सीमित रखी। वैसे भी भाजपा प्रदेश में वापस राम मंदिर निर्माण को लेकर बार-बार बात कर रही है जिससे यह समझ आ रहा है राम के सहारे भाजपा प्रदेश में चुनाव रण में बढ़ना चाह रही है। भाजपा यहां राम का नाम लेगी तो मुस्लिमों के वोट उससे छिटकेंगे जो पिछली बार उसे तीन तलाक के दौरान मिले थे। अब इन वोटों पर अखिलेश की नजर है जिसके कारण उन्होंने पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री जिन्ना को काम पर लगा दिया है। अब देखना यह है कि अखिलेश जिन्ना को कितना बैलेंस कर पाते हैं ताकि मुसलमानों के वोट भी वे ले पाएं और भाजपा से नाराज लोगों के वोट भी वे हासिल कर सके जिससे उन्हें फिर एक बार उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने में कोई दिक्कत न हो।

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