बृजभूषण की परछाई संजय सिंह और अनिता श्योराण के बीच मुकाबला कल, जानिए म.प्र. के दो वोट कितने महत्वपूर्ण होंगे….

बृज भूषण के साथ संजय सिंह

विहान हिंदुस्तान न्यूज

भारतीय कुश्ती महासंघ के सबसे बड़े पद को लेकर 12 अगस्त को चुनाव होना है। इस चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह की परछाई कहे जाने वाले संजय सिंह मैदान में है जिन्हें अनिता श्योराण टक्कर दे रही है। अनिता श्योराणा खुद भी पहलवान रही है और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीत चुकी हैं। संजय सिंह को इस पद के लिए चुने जाने का बड़ा कारण बृजभूषण का विश्वास है अन्यथा संजय एक किसान परिवार से हैं और साल 2010 में कुश्ती संघ से जुड़े हैं। म.प्र. की ओर से अध्यक्ष और सचिव का वोट रहेगा। बताते हैं बृजभूषण शरण सिंह की टीम ने म.प्र. को ढुलमुल राज्य में रखा है जो उन्हें भी वोट दे सकते हैं और विपक्ष में भी जा सकते हैं।

बृजभूषण शरण सिंह पर कुछ ​महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था जिसे लेकर पुलिस प्रकरण भी दर्ज हो चुका है। अनिता श्योराणा बृजभूषण के खिलाफ गवाह के रूप में है जिससे उनकी सीधी-सीधी टक्कर बृजभूषण शरण सिंह से ही है। अपनी जीत का दावा करते हुए बृजभूषण शरण सिंह कहते हैं 25 राज्यों में से 20 हमारे पक्ष में ही वोट करेंगे। 3 विपक्ष के हैं और दो ढुलमुल नीति पर हैं। जब 20 इकाईयां हमारे साथ हैं तो आप समझ सकते हैं जीत किसकी होगी? बात यदि संजय सिंह की करें तो वे वाराणासी के रहने वाले हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र हैं। संजय सिंह राजनीति से नहीं जुड़े हैं लेकिन वे साल 2010 से कुश्ती संघ से जुड़े हैं। वे उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के साथ भारतीय कुश्ती महासंघ में भी पद पर रहे हैं। संजय सिंह की माने तो उनका बृजभूषण शरण सिंह से तीन दशक पुराना रिश्ता हैं। वे मानते हैं कि बृजभूषण शरण सिंह ने कुश्ती को काफी कुछ दिया है और नए खिलाड़ी तैयार करने में काफी योगदान दिया है।

दूसरी तरफ संजय सिंह के सामने कुश्ती महासंघ के चुनाव में उतर रही अनिता श्योराण की बात करें तो वे हरियाणा से आती हैं। अनिता श्योराण हरियाणा पुलिस सेवा में कार्यरत है लेकिन अपना नामांकन ओडिशा ईकाई के प्रतिनिधि के तौर पर कर चुकी हैं। अनिता हरियाणा के छोटे से जिले भिवानी के छोटे से गांव ढाणी माहू से आती है। उनके पिता ड्राइवर थे और मां गृहणी थीं। दो बहनों व एक भाई के साथ रहते हुए अनिता ने राष्ट्रमंडल खेलों में चैंपियन रहने का गौरव हासिल किया है। अनिता के दादाजी पहलवान थे जिनके पहलवानी के किस्से सुन-सुनकर उन्हें कुश्ती की तरफ रूझान पैदा हुआ। चूंकि गांव में लड़कियों के बाहर निकलने की आजादी नहीं थी जिससे वह परेशान रहती थी। एक चाचा थे जो टीचर थे उन्होंने घर में बच्चियों के पढ़ने का माहौल बनाया और अनिता व उसकी बहन का दाखिला भिवानी में कराया जहां से ये कुश्ती में भी उतरी। आज वे भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में है। यदि अनिता जीत जाती है तो भारतीय कुश्ती महासंघ की पहली महिला अध्यक्ष होंगी।

बृजभूषण की मुलाकात हुई थी मोहन यादव से

बताते हैं कुछ दिनों पहले बृजभूषण शरण सिंह इंदौर आए थे। इंदौर दौरे के दौरान वे उज्जैन में भी रूके थे और म.प्र. कुश्ती संघ के अध्यक्ष व प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव से भी उन्होंने मुलाकात की थी। जो जानकारी सामने आ रही है उसमें बृजभूषण शरण सिंह ने डॉ. यादव को अध्यक्ष पद के लिए तैयारी करने की बात कही थी लेकिन डॉ. यादव ने इंकार कर दिया। डॉ. यादव के मना करने पर बृजभूषण शरण सिंह की कुछ नाराजगी भी रही। बताते हैं इस मुलाकात के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने म.प्र. के वोट को ढुलमुल इकाई में डाल दिया।

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