अब बदलेगा भारत का इतिहास : मुगलों को बाजीराव पेशवा ने कैसे मारा..यह होगा दर्ज, बप्पा रावल और महादजी सिंधिया सहित कई बिंदु जुड़ सकते है

बप्पा रावल

विहान हिंदुस्तान न्यूज

भारत में उन स्थानों के नाम तो बदले जाने लगे हैं जो मुगलों के नाम पर हैं या फिर मुगलवंश से किसी न किसी तरह से जुड़े थे। अब इतिहास को भी बदले जाने की तैयारी चल रही है ताकि बच्चों को उन बातों की भी जानकारी मिले जो सही में हुआ है। बताया जाता है इतिहास बदलने के पीछे रखे जा रहे कुछ तर्क है जो घटित तो हुए है लेकिन उसे इतिहास में या तो लिया नहीं गया है या फिर दबा दिया गया है।

बात यह आती है कि हिंदुस्तान का इतिहास भी आजाद भारत के समय ही लिखा गया तो फिर ये बाते क्यों नहीं आई जो अब जोड़ी जाना है। इसे लेकर अधिकारिक रूप से तो कोई जवाब नहीं आ रहे लेकिन आरोप ये लग रहे हैं कि भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद थे जिन्होंने इतिहास को ही भ्रष्ट कर दिया। उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को भ्रमित करते हुए एक मुस्लिम परस्त इतिहास परोस दिया जो अब तक बच्चे पढ़ते आ रहे हैं। बताया जाता है इतिहास के कुछ बिंदु जिन्हें अब किताबों में जोड़ा जाना है उन्हें टटोला जा रहा है। इसके पीछे जो धड़ा काम कर रहा है वह सरकार के काफी करीबी माना जा रहा है। जिन बिंदुओं पर काम किया जा रहा है उनमें से कुछ बिंदु आपके समक्ष यहां रखे जा रहे हैं।

1) भारत का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से शुरू नही होता बल्कि सरयू तट से शुरू होता है जहाँ महर्षि मनु को अपने मनुष्य होने का ज्ञान हुआ और मानव सभ्यता विकसित हुई।

2) रामायण और महाभारत हिन्दुओ के धर्मग्रंथ हो सकते है मगर शैक्षिक रूप से ये भारत का इतिहास है, जिन्हें पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया गया।

3) सिंध को अरबो ने जीता अवश्य था मगर बप्पा रावल ने उन्हें मार-मार कर भगाया भी था, मगर सिर्फ अरबो की विजय पढ़ाई जाती है और बप्पा रावल को कहानी किस्सों के भरोसे छोड़ दिया जाता है।

4) व्यवस्था के अनुसार सम्राट पोरस ने सिकन्दर को रोका यह पढ़ाना आवश्यक नही समझा गया लेकिन अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोलों को रोका ये बात इतिहास में बताई जाती है।

5) बाबर से औरंगजेब तक हर बादशाह के लिये अलग अध्याय हैं जबकि मुगलो के इतिहास से हिंदुस्तान के वर्तमान पर ज्यादा प्रभाव नही पड़ता।

6) मुगलो का 1707 तक का तो इतिहास बता दिया मगर बड़ी ही चतुराई से उसके बाद सीधे 1757 का प्लासी युद्ध लिखकर अंग्रेजो को ले आये। असल में 1737 में पेशवा बाजीराव द्वारा मुगलो पर किए गए प्रहार को गोल कर दिया गया।

7) 1757 में मुगल सल्तनत का मराठा साम्राज्य में विलय हो गया था मगर जबरदस्ती उसका अंत 1857 मे पढ़ाया जाता है। 1757 से 1803 मुगल मराठा साम्राज्य के अधीन रहे और 1803 से 1857 अंग्रेजो के अधीन हो गए थे। 1757 के बाद कोई मुगल सल्तनत नही थी।

8) पानीपत में मराठो की हार हुई थी जो ठीक है मगर ये उनका अंतिम युद्ध नही था। मराठे दोबारा खड़े हुए और अंग्रेजो को भी हरा दिया था जिसे इतिहास में दर्ज किया जाना है। सिर्फ पानीपत पढ़ा दिया ताकि संदेश यह जाए कि हिन्दुओ ने हर युद्ध हारा है जबकि युद्ध के बाद महादजी सिंधिया ने अफगानों को जमकर हराया था।

9) बलबन, फिरोजशाह तुगलक और बहलोल लोदी पर भी हमारे इतिहास में बहुत कुछ लिखकर उनका गुणगान किया गया। इनकी बजाय महादजी सिंधिया, नाना फडणवीस और तुकोजीराव होल्कर का वर्णन होना चाहिए था।

10)  भारत ब्रिटेन का गुलाम नही उपनिवेश था।

11)  भारत 200साल नही बल्कि 129 वर्ष अंग्रेजों के कब्जे में रहा। (1818 में मराठा साम्राज्य के पतन से 1947 में भारत की आजादी हुई।)।

12) आंग्ल मराठा युद्ध 1857 की क्रांति से भी बड़े थे इसलिए उनका विवरण पहले होना चाहिए, मगर गायब कर दिया गया। इसके पीछे कारण अलग है क्योंकि ऐसा होता तो टीपू सुल्तान का बखान फिर कैसे किया जाता।

13) 1947 में 2 राष्ट्रों का उदय नही हुआ बल्कि एक ही का हुआ। हिंदुस्तान सदियों से उदित है।

14) 1962 में भारत चीन से पराजित जरूर हुआ लेकिन भारत ने 1967 में चीन को हराया भी है। इसे भी पढ़ाएं जाने पर जोर दिया जा रहा है।

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