उत्तर प्रदेश में पैर फैलाना भास्कर को पड़ा भारी, कई बिल्डर्स भी सरकार के निशाने पर

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
आयकर विभाग ने देश के बड़े मीडिया समूह दैनिक भास्कर व उससे जुड़े संस्थानों पर गुरुवार को छापामार कार्रवाई की। इस कार्रवाई को कई तरह से देखा जा रहा है। एक तरफ जहां भास्कर समाचार पत्र सरकार की पोल खोलने के लिए पिछले कुछ समय से काफी चर्चित हुआ वहीं उसका उत्तर प्रदेश में पैर फैलाना भी उसके लिए संकट खड़ा करने वाला माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव है। बताया जा रहा है सरकार और भास्कर समूह के बीच खाई इतनी गहरी हो गई थी कि आपस में बात करने का मामला ही समाप्त हो चुका था, जिसके बाद सरकार ने अपना काम कुछ इस तरह से दिखाना शुरू किया। यह भी कहा जा रहा है कि भास्कर पर छापेमार कार्रवाई से कई बिल्डर्स समूह भी सरकार के निशाने पर आ जाएंगे क्योंकि पिछले कुछ समय से कई बिल्डर्स भास्कर समूह के बैनर तले अपना व्यवसाय बढ़ा रहे थे। वैसे आयकर सूत्रों की माने तो हवाला का कारोबार भी भास्कर ग्रुप के जरिये पनप रहा था हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है यह वक्त के साथ ही सामने आएगी।

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पिछले कुछ समय से भास्कर अपनी वेबसाइट को उत्तर प्रदेश में फैला रहा था। वहां बाकायदा अलग-अलग जिलों में रिपोर्टर रखने के साथ आफिस भी खोले जा रहे हैं। इसके अलावा कोरोना की दूसरी लहर में गंगा में शव बहाने या नदी के समीप शवों को दफनाने का मामला भी उसने खुलकर छापा था। कई मामलों में भास्कर ने राज्य व केंद्र सरकार को निशाने पर लिया था। हालांकि बताया जाता है शिवराजसिंह चौहान व भास्कर की पटरी जरूर दो दिन पहले बैठ गई थी लेकिन उसका आयकर की इस कार्रवाई से कोई संबंध होगा इसपर संशय है। आयकर विभाग अपनी तैयारी खासकर बड़े मीडिया समूह पर करने में कुछ सप्ताह का समय लेता है। वह हर तरह से तफ्तीश करता है जिसके बाद ही आगे बढ़ता है। आयकर विभाग को सरकारी कनफोड़वा बताने वाले कुछ विशेषज्ञों का कहना है भास्कर पर कार्रवाई में पहले विभाग ने हर वह कागज जुटाए होंगे जिससे वह कार्रवाई को आधार बना सके। इसके बाद वह लिंक जोड़ने के लिए दफ्तरों या बंगलों आदि में घुसा। ऐसे में उन बिल्डर्स समूह को भी वह निशाना बनाकर कार्रवाई की इतिश्री कर सकता है जिसकी भास्कर के साथ कोई डील हुई हो। यदि वह कार्रवाई को बड़ा रूप देना चाहेगा तो फिर भास्कर के खुद के कई अन्य संस्थान है जिसपर वह काम करके गलतियां निकाल सकता है। अब ये गलतियां सामान्य गलतियों में आएगी या बड़ा कोई भ्रष्टाचार आएगा यह बाद में ही पता लगेगा लेकिन कुल मिलाकर भास्कर की आवाज को कैसे बंद किया जा सकता है इस कार्रवाई पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। आयकर के सूत्र जिस हवाला कारोबार की बात कर रहे हैं उसमें कितना दम है यह तो प्रमाण सामने आने पर ही निर्भर करेगा। शिवराजसिंह चौहान सरकार से दो दिन पहले संबंध सुधरने की जो बात आ रही है उसका रोल कितना महत्वपूर्ण रहेगा इसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आयकर विभाग की कार्रवाई के दौरान दैनिक भास्कर समूह के तेवर कैसे रहेंगे यह आने वाले दिनों के अखबारों के प्रकाशन से समझा जा सकता है।

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