श्रावण मास के स्वागत में शिव वंदना। भोले वन्दना


जय जय जय शिव भोले भंडारी
कितनी प्यारी छवि छाये निराली।
सर पे चंद्र मुकुट विराजे त्रिपुरारि
गले में सर्पो की माला विष धारी।

डम डम डम डम डमरू बाजे
हाथ त्रिशूल लिये शिवजी नाचे।
भूत पिशाच ले संग में सारे
रमे भस्मी  अंगअंग में सारे।

शीश से निकले गंगा की धारा
नन्दी का संग है उनको प्यारा।
जगदम्बे माँ का साथ निराला
गले में नर मुन्डो की है माला।

भांग धतूरे की मस्ती में झूमें
राम नाम जपते जपते घूमे ।
भक्ति में उनकी इतने समाए
रुद्रवतार बन पृथ्वी पे आये ।

सागर मंथन विष कण्ठ में धारा
बजरंगी रूप में दुष्टों को मारा ।
लंका में दिया सीता को सहारा
राम संग मिल रावण सन्घारा ।

इस जीवन में अब कौन है मेरा
थमा दे प्रभु हाथ अब तेरा।
ओ स्वामी दुनियाँ के खेवनहार
अब तो लगा दे मेरी नैय्या पार ।
अब तो लगा दे मेरी नैय्या पार ।

                           सुभाष शर्मा

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