उड़ीसा में नहीं जम सकी भाजपा और बीजेडी की बात, अकेले लड़ेगी भाजपा…जाने 400 पार के लक्ष्य पर क्या होगा असर

विहान हिंदुस्तान न्यूज

भाजपा ने इस लोकसभा चुनाव के लिए 400 पार का लक्ष्य बनाया है। यह लक्ष्य उसके गठबंधन वाली पार्टियों एनडीए का है लेकिन भाजपा का अकेले 370 सीटों पर जीत हासिल करने का ध्येय है। अब इस लक्ष्य में उड़ीसा से संकट दिखाई देने लगा है जहां भाजपा बीजू जनता दल (बीजेडी) के साथ गठबंधन करना चाह रही थी। आज भाजपा ने ऐलान कर दिया कि वह अकेले ही प्रदेश की 21 लोकसभा सीटों पर व 147 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस राज्य में लोकसभा के साथ ही विधानसभा के चुनाव भी होना है। यदि आंकड़े देखें तो भाजपा इस राज्य में बढ़ ही रही है लेकिन गठबंधन होने से संभवत: उसे ज्यादा फायदा होता। बहरहाल भाजपा को यहां कोटा पूरा करने के लिए ज्यादा मेहनत करना होगी।

पिछले कुछ दिनों से भाजपा बीजेडी के साथ गठबंधन के प्रयास में थी और बार-बार यही आ रहा था कि दोनों पार्टियों में जल्द ही गठबंधन हो जाएगा। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उड़ीसा के मुख्यमंत्री तथा बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक साथ में रैली में दिखे थे। हालांकि 2014 और 2019 के चुनावों में भी इन दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं था। 2014 में भाजपा ने यहां 21 में से सिर्फ एक सीट (21.9 प्रतिशत वोट शेयर) जीती थी जबकि बीजेडी को 20 सीट (43.3 प्रतिशत) मिली थी। 2019 में भाजपा का वोट शेयर बढ़कर 38.9 फीसदी हो गया और उसने 8 सीटें जीती जबकि बीजेडी को 12 सीटें मिली थी। यदि विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां बीजेडी को 2019 में 112 सीटें मिली जबकि भाजपा 23 सीटें जीतने में ही कामयाब रही। असल में नवीन पटनायक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच तालमेल अच्छा रहा जिससे नवीन पटनायक ने कभी केंद्र सरकार के खिलाफ ऐसे बयान नहीं दिये जिससे वे भी मोदी विरोधी खेमे में शामिल होते। उड़ीसा में अघोषित रूप से डबल इंजन की सरकार चलती रही है। हालांकि 1998 से 2009 तक दोनों पार्टियां साथ ही चुनाव लड़ती रही।

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