गुज्जर-बकरवाल के साथ आजाद से भी है भाजपा को उम्मीद, विकास पर भी भरोसा, लेकिन..राह इतनी आसान भी नहीं

श्रीनगर से मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज

जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने के बाद भाजपा पूरी तरह से इस राज्य के ऑपरेशन में जुट गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास कार्यों से कश्मीर घाटी को फिर से जन्नत बनाने में जुटे तो है वहीं टीम भाजपा भी यहां सत्ता हासिल करने में लगी हुई है। गुज्जर-बकरवाल व अन्य पहाड़ी जातियां जो अनुसूचित जनजाति वर्ग में आती है उन्हें विधानसभा चुनावों में पहली बार सीटों पर आरक्षण मिला है जिसे यह जनजाति भाजपा की देन मान रही है। कांग्रेस से बाहर निकलकर अपनी डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद से भी भाजपा को उम्मीद है। जम्मू से बड़ी लीड लेकर कश्मीर में दहाई के अंकों से खाता खोलने का भरोसा जताने वाली भाजपा के लिए राह इतनी भी आसान नहीं है।

एक बार जम्मू-कश्मीर में सरकार में आने के बाद भाजपा ने यहां जो राह निकाली उसपर पार्टी चल पड़ी है। भाजपा का पिछली बार जम्मू में प्रदर्शन अच्छा रहा था जहां उसने 36 में से 25 सीटें जीती थी लेकिन कश्मीर घाटी में वह खाता नहीं खोल पाई थी। परिसीमन के बाद जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटे हो गई है जिससे भाजपा को जम्मू में तो मेहनत करना ही है वहीं कश्मीर में पूरी ताकत झोंकना होगी। यही कारण है कि भाजपा यहां स्मार्ट वर्किंग कर रही है। वह गांवों में ज्यादा ध्यान दे रही है जहां गुज्जर-बकरवाल के साथ गरीब तबका ज्यादा है। यदि कश्मीर को देखेंगे तो यहां गांव व शहर के बीच मतभेद ही नहीं मनभेद भी है। दोनों ही एक-दूसरे पर विश्वास बहुत कम करते हैं। गुज्जर-बकरवाल पुलिस सेवा में भी काफी हैं जिससे इस वर्ग से बड़े नेता भी निकल सकते हैं। अभी तक यहां राजनीतिक पार्टियों ने इस वर्ग को राजनीति में जगह न के बराबर दी थी लेकिन जब से भाजपा ने गुज्जर-बकरवाल को बढ़ावा दिया तब से उसके झंडे गांवों में भी दिखने लगे। कुछ समय पहले तक गांवों में भाजपा के झंडे उठाने वालों को मौत के घाट उतारा जा रहा था लेकिन अब इस तरह की खबरे बंद हो गई है। पिछले दिनों स्वतंत्रता दिवस पर घर-घर पर भारतीय तिरंगा फहराता दिखा और रैलियों में भी जोर-शोर से लोगों ने हिस्सा लिया। भाजपा के कार्यकर्ता गरीबों को खूब राशन भी पहुंचा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर भाजपा के उपाध्यक्ष सोफी युसूफ बताते हैं हमारी पार्टी के सदस्य लगातार बढ़ रहे हैं। हम हर वर्ग के गरीब तबके की मदद कर रहे हैं। राशन ही नहीं उसे जरूरी सामग्री भी मुहिया करा रहे हैं जिसमें सर्दियों से बचाव के लिए कंबल हो या फिर रोजगार से जुड़ी कोई सामग्री हो।

आजाद का प्रदर्शन अच्छा रहा तो खुश होगी भाजपा

 भाजपा को गुलाम नबी आजाद से इसलिए उम्मीद है क्योंकि उन्हें इस राज्य में काफी इज्जत दी जाती है। उनकी पार्टी में कई कांग्रेसी जुड़ गए हैं। वे नेशनल कांफ्रेस के साथ पीडीपी के लिए भी चुनौती होंगै यानी कश्मीर में भले ही भाजपा की सीटे ज्यादा न आए नेशनल कांफ्रेस-पीडीपी भी बड़ी लीड नहीं ले सकेगी। पीडीपी का पिछले चुनाव में 28 सीटों के साथ प्रदर्शन तो अच्छा रहा लेकिन पार्टी में टूट-फूट ने वरिष्ठ नेताओं को कुछ निराशा दी है। नेशनल कांफ्रेंस का जोर जरूर है लेकिन भाजपा अब्दुल्ला परिवार के घोटालों को उजागर करने में जुटी है। हालांकि नेशनल कांफ्रेंस पिछले चुनाव में मात्र 15 सीटों पर ही सिमट चुकी थी। कुल मिलाकर गुलाम नबी आजाद घाटी में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो भाजपा को खुशी होगी। भाजपा को उम्मीद है वह कश्मीर घाटी से दहाई की संख्या लाएगी लेकिन यह रेत में से तेल निकालने जैसी बात फिलहाल नजर आ रही है।

कश्मीरी पंडितों को निराशा..

हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह के घाटी में दौरे के दौरान उनका कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ न कहना पंडितों को नाराज कर गया। पंडितों का कहना है हमारी इतनी सारी समस्याएं हैं जिनके हल होने की हम उम्मीद लगाए बैठे थे लेकिन शाह ने पंडितों का जिक्र तक नहीं किया। पंडितों का कहना है पूरे देश में हमारे नाम पर वोट लिए जाते हैं लेकिन हमारी समस्याओं का भी हल होना चाहिए। कश्मीरी पंडि़तों ने पिछले चार माह से नौकरी पार जाना छोड़ दिया है। उनका कहना है टारगेट किलिंग के चलते वे ऑफिसों में नहीं जा सकते। कुछ कर्मचारियों को दबाव बनाकर नौकरी पर बुलाया जा रहा है लेकिन वहां उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जा रही है। पंडितों को जिन कैंपसों में जगह दी गई है वहां चिकित्सकीय व्यवस्था तक नहीं है। कुछ स्थानों पर तो मकान  व रख-रखाव भी व्यवस्थित नहीं हैं। कुछ घरों में तो एक से ज्यादा परिवारों को रहना पड़ रहा है। इस वर्ग की परेशानी को देखकर भाजपा के लिए कठिनाईयां खड़ी हो सकती है क्योंकि कश्मीर संभालने में वह जम्मू से सीटे कम न कर बैठे, इस बात को पार्टी फोरम में उठाया जा रहा है।

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