महंगाई के मान से बोर्ड ने नहीं दी खर्च की राशि, आज केंद्राध्यक्ष देंगे ज्ञापन

विहान हिंदुस्तान न्यूज
कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं चल रही है लेकिन इस बार माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड से केंद्राध्यक्ष व सहायक केंद्राध्यक्ष खुश नहीं है। इसके पीछे कारण बोर्ड द्वारा खर्च की राशि कम देना है। यह मुद्दा काफी गर्मा गया है जिससे हर जिले में केंद्राध्यक्ष व सहायक केंद्राध्यक्ष इकट्ठा होकर कलेक्टर के माध्यम से बोर्ड को ज्ञापन दे रहें हैं। इनका कहना है परीक्षा कराने में उन्हें अपने जेब से भी राशि खर्च करना पड़ेगी।

इंदौर जिले में 186 परीक्षा केंद्र है। आज इंदौर में केंद्राध्यक्ष व सहायक केंद्राध्यक्ष मिलकर दोपहर 1 बजे कलेक्टर व माध्यमिक शिक्षा मंडल के आंचलिक अधिकारी को ज्ञापन देंगे। सभी केंद्राध्यक्ष व सहायक केंद्राध्यक्ष मोती तबेला स्थित शासकीय मालव कन्या स्कूल में इकट्ठा होंगे जहां से कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर के समक्ष अपनी बात रखेंगे। केंद्राध्यक्षों व सहायक केंद्राध्यक्षों का यह भी कहना है कि उनके सेंटर निवास स्थान से काफी दूर दूर तक भी लगाएं गए हैं जिससे समय के साथ पेट्रोल का खर्च भी काफी ज्यादा लग रहा है। इन लोगों का कहना है जब चुनाव की ड्यूटी संबंधित के विधानसभा क्षेत्र में लगाई जाती है जो अनुकरणीय कार्य है लेकिन यहां तो कई शिक्षकों को 30 से 40 किलोमीटर दूर तक भी जाना पड़ रहा है।
ये हैं कुछ अहम मांगे-

  • बोर्ड ने केंद्राध्यक्ष को इस मर्तबा काम की अपेक्षा कम खर्च की राशि दी।
    -10 हजार रूपए मात्र स्टेशनरी के दिए जबकि एक सेंटर पर अमूमन 22 पर्चे तो हो ही रहें हैं। स्टेशनरी में परीक्षा की कापिया बांधने के लिए अलग अलग रंग का कपड़ा, सील करने के लिए चपड़ी, मोमबत्ती, फाइले, धागा, चाक, स्टीकर, ड्राइंग शीट्स, फोटो कापी के लिए कागज, पंचिंग मशीन, गोंद, टोचा, स्टैपलर आदि लगता है जो केंद्राध्यक्ष को ही खरीदना है।
    -बोर्ड ने इस बार एक लोकल केंद्राध्यक्ष और बढा दिया है जिसे प्रतिदिन 180 रूपए व तीन दिन की अतिरिक्त राशि भी देना पड़ रही है। शिक्षकों का मानना है कि लोकल केंद्राध्यक्ष का कोई विशेष काम नहीं है।
    -कलेक्टर प्रतिनिधि को रोज 400 रूपए दिए जाना है जिनका काम सुबह 7 बजे पहुंचकर केंद्राध्यक्ष को पर्चा निकलवाना है और फिर परीक्षा सेंटर पर पहुंचकर सुबह 10 बजे तक रहना है। केंद्राध्यक्ष को प्रतिदिन 300 रूपए या उससे भी कम (छात्र संख्या के अनुसार) मिलना है जबकि उसे हर परीक्षा पर सुबह पेपर निकालने से लेकर कापियां जमा कराने तक की जिम्मेदारी उठाना होती है। कापिया खुद उठाकर ले जाने के साथ रास्ते में उसकी सुरक्षा का दायित्व भी उन्हीं का होता है।
    -सहायक केंद्राध्यक्षों को भी न्याय नहीं मिल रहा। उन्हें रोज केंद्राध्यक्ष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम तो करना है लेकिन उन्हें प्रतिदिन मेहनताना 180 रूपए ही दिया जाना है। परीक्षा में ड्यूटी देने वाले टीचर्स (पर्यवेक्षक) को तीन घंटे की ड्यूटी के 150 रूपए मिलते हैं।

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