चंचल बच्चे के गले में पहनाएं चांदी की चेन, अनुकूल रहेगी चंद्रमा की स्थिति…

कोरोना के कारण पिछले साल 6 जून से आम श्रद्धालुओं के गर्भगृह और भस्मारती में प्रवेश पर थी रोक महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में मंगलवार को लिया गया फैसला शयन आरती में प्रवेश का समय भी बढ़ाकर रात 10.15 बजे कर दिया गया

बच्चों-बच्चों में भी काफी फर्क होता है। कई बच्चे काफी चंचल होते हैं तो कुछ शांत स्वभाव के होते हैं। चंचल बच्चों पर परिजनों को काफी नजर रखना पड़ती है। यह माना जाता है कि हर बच्चा 12 वर्ष की आयु तक चंद्रमा के प्रभाव में रहता है। चंचल बच्चों का चंद्रमा तेज माना जाता है जिनपर विशेष ध्यान रखना होता है। वैसे चंचल बच्चे अच्छे माने जाते हैं और यह कहा जाता है बड़े होने पर इस तरह के बच्चे कुछ बड़ा ही काम करते हैं। ऐसे बच्चों को बचपन में चोट लगने की भी संभावनाएं अधिक रहती है जिसका भय हमेशा परिवार वालों को रहता है। चंद्रमा की अनुकूलता बनाएं रखने के लिए ऐसे बच्चों को चांदी की चेन पहनाई जाना चाहिए। यदि बच्चा काफी छोटा है तो उसके गले में काला धागा बांधकर अर्धचंद्र का लॉकेट पहनाने से उसका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। बच्चे को मोती पहनाने से भी शुभ स्थिति बनी रहती है। ऐसे बच्चों को प्रतिदिन भगवान हनुमान के दर्शन कराना चाहिए। मंगलवार को मिट्टी के दीये में चमेली का तेल डालकर हनुमान मंदिर में दीपक लगाने से भी बच्चों को फायदा मिलना बताया जाता है। बच्चे भगवान का रूप होते हैं। इन्हें सुलाने के स्थान पर पिरामिड आकार की मच्छरदानी लगाना चाहिए। इनके आसपास कोई ऐसी वस्तु न रखें जो बच्चे के लिए हानिकारक हो।
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