चन्नी पंजाब के नए मुख्यमंत्री, दलितों को खींचने के लिए कांग्रेस का दांव
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विहान हिंदुस्तान न्यूज
कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद रिक्त हुई पंजाब के मुख्यमंत्री की सीट पर अब चरणजीतसिंह चन्नी बैठेंगे। कई घंटों की माथापच्ची के बाद कांग्रेस आलाकमान ने चन्नी के नाम पर मुहर लगाई है जो दलित समाज से आते हैं। चन्नी पर दांव लगाने का कारण दलितों के वोट खींचने की कांग्रेस की राजनीति बताई जाती है। इससे पहले सुखजिंदर सिंह रंधावा के नाम की हवा इतनी तेज हो गई थी कि सिक्युरिटी उनके बंगले पर बढ़ा दी गई और मिठाईयां भी बंट गई थी लेकिन शाम तक नई सोच के साथ कांग्रेस ने नया नाम फेंक दिया। चन्नी पर दांव खेलकर कांग्रेस संभवत: अन्य राजनीतिक दलों को यह जताने का प्रयास भी कर रही है कि वह दलितों के लिए कितना सोचती है।
पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने ट्वीट करके चन्नी के नाम की घोषणा की। साथ ही शाम को राज्यपाल से समय भी मांगा। माना जा रहा है कल से श्राद्ध पक्ष शुरू होने वाला है जिससे आज ही मुख्यमंत्री पद की शपथ चन्नी को दिला दी जाएगी। इससे पहले सुबह कैप्टन अमरिंदरसिंह ने नवजोतसिंह सिद्धू को देश के लिए खतरा बताते हुए सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था। बताया जाता है कैप्टन अब खुलकर मैदान में उतर आए हैं और वे सिद्धू को पूरी तरह से निष्क्रिय कर देना चाहते हैं। वैसे सिद्धू रंधावा को मुख्यमंत्री बनवाना चाहते थे लेकिन कैप्टन के विरोध के बाद चन्नी सीएम पद के दावेदार बन गए। हालांकि चन्नी पहले मंत्री थे जिन्होंने कैप्टन अमरिंदरसिंह का खुलकर विरोध किया था। यही कारण है कि सिद्धू व रंधावा ने भी चन्नी को सीएम पद के लिए रोकने का प्रयास नहीं किया क्योंकि कैप्टन को हटाने में कहीं न कहीं चन्नी ने भी इनका साथ दिया था। रंधावा ने तो मीडिया को खुलकर कहा चन्नी मेरा छोटा भाई है और हम उसके साथ हैं।
अकाली दल व बसपा का गठजोड़
पंजाब में दलितों का बड़ा वोट बैंक है जिसे लेकर कांग्रेस ने अपनी तैयारी की है। सिद्धू और चन्नी दो ऐसे चेहरे हैं जो सिख व दलितों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने आगे बढ़ाए हैं। पंजाब में छह माह बाद विधानसभा चुनाव है जिससे चन्नी द्वारा किन विधायकों को मंत्रीमंडल में लिया जाता है यह सभी के लिए जिज्ञासा का विषय होगा। इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह किस राह चलेंगे यह भी गौर करने वाला होगा। खुद कैप्टन यह कह चुके हैं कि वे तब तक पंजाब में विधानसभा का चुनाव लड़ते रहेंगे जब तक पंजाब से खतरा नहीं हट जाता। उनका इशारा संभवत: सिद्धू पर था। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वे कांग्रेस में रहेंगे, कोई नई पार्टी बनाएंगे या फिर भाजपा या अन्य पार्टी में जाएंगे। इससे पहले दलितों को अपनी तरफ खींचने के लिए अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गठजोड़ किया था। माना जा रहा है बसपा-अकाली दल के गठजोड़ को देखते हुए ही कांग्रेस ने दलित चेहरे को आगे बढ़ाया है।