मतदान दल के सदस्य कपड़े बदलते समय कैमरों का ध्यान रखें, पिछले चुनाव में हुई थी ये घटना…

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज

म.प्र. विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर (शुक्रवार) को वोटिंग होने जा रहा है। प्रदेश में मतदान दल गुरुवार को अपने-अपने स्थान पर मोर्चा संभाल लेंगे। इन दलों को दो दिन मतदान स्थल पर ही रूकना है जहां उनकी ड्यूटी है। ऐसे में उन्हें सुबह स्नान करने के बाद कपड़े भी बदलना होते हैं। कपड़े बदलते समय कैमरों का ध्यान दल के सदस्यों को देना चाहिए। पिछले साल हुए ​नगर निगम चुनाव में महिलाओं के एक दल के साथ यह परेशानी आ गई थी जब कुछ कर्मचारियों ने कैमरे का ध्यान नहीं रखा और कपड़े बदल लिए। हालांकि कुछ ही घंटों में जब जानकारी लगी तो जिस सरकारी कार्यालय में मतदान केंद्र बना था उसके अफसर ने तत्काल रिकॉर्डिंग डिलीट करवा दी थी।

 चूंकि आजकल लगभग सभी मतदान केंद्रों पर कैमरे लगे होते हैं जिससे मतदान दल को बड़ी सावधानी बरतना होती है। संवेदनशील केंद्रों पर तो निर्वाचन आयोग खुद कैमरे लगाता है लेकिन अन्य स्थानों पर पहले से ही लगे कैमरों को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती है। पारदर्शितां बनाए रखने के लिए कैमरे चलाना है या इसे बंद करने का अधिकार है उसे लेकर स्थिति स्पष्ट करना जरूरी है। ये देखने में आता है कि इन कैमरों को बंद नहीं किया जाता है। ऐसे में कई लोग कपड़े बदलने के दौरान कैमरों का ध्यान नहीं रख पाते हैं जिससे उन्हें एक भय बना रहता है। पिछले चुनाव में जीपीओं स्थित सेंट्रल पीडब्ल्यूडी के कार्यालय में बने एक मतदान केंद्र में ही यह समस्या आ गई थी। इस केंद्र पर महिला कर्मचारियों ने ही बूथ संभाला था। इनमें से कुछ महिला कर्मचारी जब कपड़े बदल रही थी तब उन्हें कैमरों का ध्यान नहीं था। जल्दी-जल्दी में वे रूम में कपड़े बदलकर अपने मतदान से संबंधित कार्य में जुट गई लेकिन जब वोटिंग मशीने जमा कराने जा रही थी तब किसी का ध्यान सुबह हुई गलती पर गया। इस कमरे में कैमरे लगे थे और वे ऑन थे। रात में चूंकि कार्यालय का वह कमरा बंद था जहां रिकॉर्डिंग डिवाइस लगा होता है। ऐसे में सुबह ये महिलाएं संबंधित अधिकारी के पास पहुंची और अपनी समस्याओं की जानकारी दी। संबंधित अधिकारी ने तत्काल जिम्मेदार कर्मचारी को बुलाकर रिकॉर्डिंग डिलीट करा दी। यहां आपको यह भी बता दें कि वाशरूम काफी गंदे थे जिसके कारण इन महिला कर्मचारियों को रूम में कपड़े बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

रिकॉर्डिंग को लेकर स्पष्ट निर्देश नहीं…

यह भी देखने में आया है कि मतदान केंद्रों पर लगे कैमरों को ऑन रखा जाना चाहिए या नहीं इसे लेकर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है। कैमरे कहां के ऑन रखे जाएं और कहां ऑफ किया जाए इसे लेकर भी स्पष्टता नहीं है। यदि कैमरों की रिकॉर्डिंग डिलीट कर दी जाए तो इसे लेकर क्या कार्रवाई की जाएगी इसके संबंध में भी जानकारी कभी नहीं दी जाती है। यदि संवेदनशील केंद्रों पर चुनाव आयोग खुद कैमरे लगवाता है जिससे यह मतलब निकाला जा सकता है कि अन्य स्थान पर लगे कैमरों को बंद किया जा सकता है। मतदान दल को ट्रेनिंग के दौरान भी कैमरों को लेकर सावधानी रखने या फिर इनके संचालन को लेकर जानकारी नहीं दी जाती है। कुछ बूथों में तो ऐसे स्थान पर वोटिंग मशीन रख दी जाती है जो कैमरे की निगाह में रहती है। ऐसे में विवाद की स्थिति बन सकती है हालांकि अभी तक किसी ने इस तरह की आपत्ति नहीं ली है।

कर्मचारियों की ​वोटिंग के ​दौरान गोपनीयता नहीं रखी गई…

मतदान दल को जब ट्रेनिंग दी गई तो कर्मचारियों को वोट डालने के लिए भी प्रेरित किया गया। इंदौर में होलकर कॉलेज में यह व्यवस्था रखी गई थी। व्यवस्था की कर्मचारियों ने काफी तारीफ भी की। पहली बार उन्हें ट्रेनिंग के दौरान चाय भी सर्व की गई। बाद में जब वोट डालने की बारी आई तो कर्मचारियों से मोबाइल कैमरे न तो रखवाए गए और न ही यह देखा गया कि वो वोट डालने के दौरान इसके फोटो खींच रहा है। वोट डालते समय इतनी ज्यादा भीड़ थी कि एक-दूसरे के वोट भी आसानी से देखें जा सके। जिन लोगों को गोपनीयता बरतना है उन्हीं के साथ जब इस तरह का व्यवहार किया गया तो उससे कई कर्मचारियों में निराशा भी हुई।

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