सीएम बनते ही डॉ. मोहन यादव ने तेज आवाज वाले लाउडस्पीकर पर लगाया बैन, खुले में मांस बेचने वालों पर भी होगी कार्रवाई, रामभक्तों का सरकार करेगी स्वागत

विहान हिंदुस्तान न्यूज

म.प्र. में मुख्यमंत्री बदलते ही कुछ नए फैसले देखने को मिले हैं। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही डॉ. मोहन यादव ने कैबिनेट बैठक ली और उसमें कुछ अहम निर्णय लिए। सबसे पहला आदेश प्रदेश में तेज आवाज वाले लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगा दिया गया है चाहे ये धार्मिक स्थल पर ही क्यों न बज रहे हो। निर्धारित ध्वनि में ये बजाए जा सकते हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत खुले में मांस व अंडे बेचने वालों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। हर जिले में एक प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज खोलना भी तय किया गया है।

एक महत्वपूर्ण फैसला उन आदतन अपराधियों को लेकर किया गया है जो जमानत पर बाहर आते हैं और आपराधिक कृत्य जारी रखते हैं। ऐसे अपराधियों की जमानत निरस्ती की कार्रवाई की जाएगी। डॉ. मोहन यादव ने आज मुख्यमंत्री कक्ष का विधिवत पूजन किया और स्टॉफ से बात की। उन्होंने तय किया कि 22 जनवरी को राममंदिर के लिए अयोध्या जाने वाले रामभक्तों का जगह-जगह सरकार स्वागत करेगी। इस संबंध में डॉ. यादव ने आदेश जारी किये हैं। प्रदेशभर में लाउडस्पीकर बैन करने को लेकर जो आदेश जारी किया है उसमें लिखा गया है कि विभिन्न धर्म स्थलों में निर्धारित डेसिबल का उल्लंघन करते हुए लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जा रहा है। शोर से मनुष्य के काम करने की क्षमता, आराम और नींद में व्यवधान पड़ता है। शोर वाले वातावरण के चलते ब्लड प्रेशर, बेचैनी, मानसिक तनाव, अनिंद्रा जैसे प्रभाव शरीर में देखने को मिलते हैं। इससे कान के आंतरिक भाग में भी समस्या होती है। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। सरकार ने हर जिले में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज खोलने की जो पहल की है उसका भी काफी फायदा स्टूडेंट्स को मिलेगा। अब देखना यह होगा कि ये कॉलेज जिले के शहरी भाग में खोले जाते हैं या ग्रामीण हिस्से में ये चलाए जाएंगे। असल में कई स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं जिन्हें शहर आने-जाने की बजाय वहीं रहकर पढ़ना पड़ता है। ऐसे में यदि ग्रामीण क्षेत्रों में ये कॉलेज खुलेंगे तो उन स्टूडेंट्स को ज्यादा फायदा होगा। शहरों में तो प्राइवेट कॉलेजों की भी भरमार है और साथ ही सरकारी कॉलेज भी काफी ज्यादा हैं। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापकों की कमी भी नहीं रहती है।

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