भारत में 45 से कम उम्र वालों को वैक्सीन लगाने की छूट देने का आग्रह
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भारत में करोना की दूसरी लहर कहर बरपा रही है। आंकड़ों को देखें तो पहली लहर की बजाय इस लहर में 18 से 40 वर्ष की उम्र के लोग कोरोना वायरस की रडार पर ज्यादा आ रहे हैं। इसे देखते हुए बात यह उठ रही है कि सरकार 45 साल से नीचे वालों यानी 18 से 45 के बीच वालों को भी वैक्सीन लगाने की छूट दे। इसे लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने तो केंद्र सरकार को पत्र लिखा ही है साथ ही महाराष्ट्र सहित कुछ अन्य राज्यों ने भी मांग की है कि आयुसीमा को लेकर सरकार विचार करें।
सरकार ने भी इसका जवाब दिया है। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया जैसे देशों की ओर इशारा करते हुए कहा है कि विश्व में हर देश पहले अपने उन लोगों को वैक्सीन लगा रहा है जिन्हें जरूरत है। भारत में जरूरत 45 से ऊपर की उम्र के लोगों को ज्यादा है क्योंकि कोरोना से उनकी जान जाने का खतरा ज्यादा है। सरकार का मानना यह भी है कि यदि कम उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाना शुरू कर दी तो इसमें ज्यादा उम्र वाले लोग वैक्सीनेशन से रह जाएंगे। बात मॉनिटरिंग को लेकर भी है कि किस तरह इतनी भीड़ को मॉनिटर किया जाएगा।
यदि हम सरकार के इस जवाब पर बात करें तो फिर सवाल यह उठता है कि वर्तमान में जो वैक्सीनेशन चल रहा है उसमें 7 प्रतिशत वैक्सीन इसलिए खराब हो रही है क्योंकि कुछ लोग वैक्सीन लगवाना ही नहीं चाहते और मजबूरी में इसे खोलना पड़ रही है। वैक्सीन लगाने के लिए सरकार किसी को बाध्य भी नहीं कर सकती है। सरकार का जो लक्ष्य सामने आ रहा है वह 80 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का है यानि 160 करोड़ डोज होना चाहिए। यदि दूसरी लहर को लेकर बात करें तो विशेषज्ञ कहते हैं सीरो सर्वे से यह पता चल रहा है कि कुछ क्षेत्रों में लोगों की एंटीबॉडी ज्यादा है तो कुछ में कम। जहां कम है वहां हॉटस्पाट का खतरा ज्यादा है। ऐसे में सात प्रतिशत डोज जो खराब हो रहे हैं उन्हें ऐसे क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सकता है। एक बात यह भी आ रही है कि भारत ने अभी तक 69 देशों को 583 लाख वैक्सीन के डोज भेजे हैं। यह विदेश नीति में संबंध बनाने के लिए तो एक अच्छी बात है लेकिन जब हमारे यहां ही कोरोना नहीं संभल रहा है तो दूसरों की मदद कितनी की जाए इसपर भी चर्चा होना चाहिए। जिस तरह से अभी वैक्सीनेशन चल रहा है उसी गति से यदि यह चलता रहा तो तीन साल में यह पूरा हो पाएगा। तीन साल में तो सभी का एक-एक बार वैक्सीनेशन होगा यानि दो-दो डोज लगेंगे। वैक्सीन की उम्र देखें तो सालभर बाद फिर इसे लगाना होगा यह बात भी कही जा रही है। यदि ऐसा होता है तो फिर शुरुआत में जिन लोगों ने डोज लगवाएं हैं उन्हें फिर से इस डोज की जरूरत पड़ने लग जाएगी। मतलब बात वहीं आकर रूक जाएगी कि कोरोना वायरस का खौफ बरकरार रहेगा। वैसे भी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट आॅफ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला कहते हैं कोरोना की वैक्सीन ये तो तय नहीं करती है कि आपको वायरस का इंफेक्शन नहीं होगा लेकिन ये तय जरूर करती है कि वैक्सीन लेने के बाद भी अगर आपको कोरोना का इंफेक्शन होता है तो आपको इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा। पूरावाला की बात को समझे तो वैक्सीन की अपनी भूमिका है लेकिन कुल मिलाकर बात यह है कि कोरोना से बचना है तो मास्क लगाने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग भी जरूरी है। समय-समय पर साबुन से हाथ धोना या सैनेटाइजर का उपयोग करना भी आवश्यक है।