मुर्दे का कर रहे थे इलाज, कलेक्टर टीम लेकर पहुंचे तो हुआ खुलासा, 8 को किया गिरफ्तार

सांकेतिक फोटो

विहान हिंदुस्तान न्यूज

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में मेडिकल माफियाओं के गैंग का जबरदस्त खुलासा हुआ है। यहां कलेक्टर डीएम कृष्णा करुणेश जब प्रशासन व पुलिस की टीम को लेकर एक निजी अस्पताल में छापा मारने पहुंचे तो वहां मुर्दे का इलाज करने के नाम पर परिजनों के साथ धोखाधड़ी की जा रही थी। जांच में पता चला कि जिस व्यक्ति का इलाज आईसीयू में किया जा रहा है वह तो काफी पहले मर चुका है। यह बात सुनकर मृत व्यक्ति के परिजन भी चौंक गए क्योंकि उन्हें यही बताया जा रहा था इलाज जारी है। इस दौरान परिजनों से 75 हजार रु. तो वसूले ही जा चुके थे जबकि कुछ पैसा और लिया जाना था। कलेक्टर ने इस पूरे मामले में 8 मेडिकल माफियाओं को गिरफ्तार करने का आदेश दिया।

गोरखपुर के ईशू अस्पताल में देर रात जब डीएम कृष्णा की टीम पहुंची तो वहां आईसीयू में तीन मरीजों का इलाज हो रहा था हालांकि अस्पताल में एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। तीन में से एक व्यक्ति मृत था लेकिन उसे जिंदा बताया जा रहा था। जब कलेक्टर ने जांच कराई तो व्यक्ति मृत पाया गया। ईयू अस्पताल की संचालक रेनू पत्नी नितिन यादव है जबकि अस्पताल डॉ. रणंजय प्रताप सिंह के नाम से पंजीकृत है। यह भी पाया गया कि जो पैरामेडिकल स्टाफ मौके पर मौजूद था उसमें सभी की शैक्षणिक योग्यता डिप्लोमा इन फॉर्मेसी है। जांच में यह भी पाया गया कि अस्पताल से जुड़े कुछ दलाल गांवों में जाकर मरीजों को सस्ते इलाज की बात बताकर यहां भर्ती करा देते थे। बाद में गंभीर बीमारी की बात बताकर परिजनों को डराया जाता था और उनसे पैसे खींचे जाते थे।

सरकारी अस्पताल ले गए थे मृत मरीज के परिजन, वहां से…

ईयू अस्पताल में जिस मृत व्यक्ति का इलाज चल रहा था उसका नाम शिव बालक प्रसाद है। मृतक के बेटे रामईश्वर ने टीम को बताया कि वह देवरिया निवासी है। पिता को चक्कर आए और वे गिर पड़े तो वह उन्हें अपने परिवार के कुछ लोगों के साथ लेकर समीप के सदर अस्पताल पहुंचा। यहां एक घंटा इलाज चला और फिर सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया। सरकारी अस्पताल लेकर जब पहुंचे तो एक प्राइवेट एंबुलैंस चलाने वाला व्यक्ति मिला जिसने पर्चा देखकर बताया कि यहां जगह नहीं है। फिर घूमते-घूमाते इन्हें ईयू अस्पताल ले जाया गया जहां शुरुआती फीस 5000 रुपए जमा कराई गई। बाद में 20 हजार रु. और फिर 50 हजार रु. लिए गए। रामईश्वर ने बताया कि उनके पिता को आईसीयू में ले जाकर ऑक्सीजन देना शुरू किया। कुछ देर बाद डॉक्टर वहां से चले गए। हम पिता की स्थिति देखकर बार-बार डॉक्टर को बुलाने की बात करते रहे हैं लेकिन डॉक्टर नहीं आए। फिर कलेक्टर व उनकी टीम पहुंची तब पता चला उनके पिता पहले ही मर गए हैं और इलाज का नाटक चल रहा है।

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