दरबार के अंगने में खिल रहे ‘कमल’, हाथ की जगह ग्लास बना मजबूरी…जीते तो भाजपा में हो सकते हैं शामिल

अंतरसिंह दरबार

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज

इंदौर जिले की महू विधानसभा सीट पर रोचक स्थिति बनती जा रही है। यहां उम्मीदवारों की मतदाताओं से ज्यादा गद्दारों पर नजर है। कांग्रेस से बागी होकर पूर्व विधायक अंतरसिंह दरबार निर्दलीय हो चुके हैं जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। यहां भाजपा से उषा ठाकुर जबकि कांग्रेस से रामकिशोर शुक्ला उम्मीदवार हैं। यहां जो नए समीकरण बने है उसमें उषा ठाकुर से नाराज कुछ भाजपाई दरबार की मदद कर रहे हैं जिसके पीछे बड़े कारण भी बताए जा रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं दरबार यदि जीत जाते हैं तो वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो 3 दिसंबर के बाद ही पता चलेगा जब नतीजे आएंगे। ..लेकिन दरबार की जीत में दिक्कत चुनाव चिह्न को लेकर आ रही है। हर बार दरबार हाथ के पंजे के निशान पर वोट मांगते थे लेकिन इस बार उन्हें ग्लास पर मुहर लगवाना है। वैसे दरबार के समर्थक खासे उत्साहित दिख रहे हैं जिसके पीछे हाल ही में लल्लनटॉप को दिए एक इंटरव्यू में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का अंतरसिंह दरबार की तारीफ करना बताया जा रहा है।

दरबार की ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ है लेकिन यहां के मतदाताओं के दिल से ‘हाथ’ हटाकर ग्लास लाना उनकी (दरबार) परेशानी का सबब बन रहा है। भाजपा की प्रत्याशी उषा ठाकुर से भाजपा के कुछ पदाधिकारी व कार्यकर्ता इतने नाराज हैं कि वे खुलकर विरोध करते देखे गए हैं। दो दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय तक को इन्हें समझाने जाना पड़ा था हालांकि इन्हें फर्क नहीं पड़ा। जो खबर आ रही है उसके तहत दरबार के खेमे में कुछ भाजपाई मिल गए हैं जिनके बल पर दरबार बेड़ा पार कर पाएंगे। ये नाराज अपनी शक्ति दिखाना चाहते हैं ताकि भाजपा अगली बार स्थानीय नेता को तवज्जों दे। दिक्कत की बात यह है कि दरबार का ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा प्रभाव है लेकिन यहां के कई मतदाता ग्लास के बजाय हाथ का बटन न दबा जाए इसकी चिंता उन्हें सता रही है। रामकिशोर शुक्ला व उषा ठाकुर दोनों का शहरी क्षेत्र में दरबार से बेहतर प्रभाव तो माना जाता है लेकिन यहां उषा विरोधी कुछ भाजपाई कार्यकर्ता दरबार की पाल बांध रहे हैं। रामकिशोर शुक्ला को दरबार की मेहनत का कितना फायदा मिलेगा यह भी नतीजे ही बताएंगे। यह भी एक बिंदु है कि दरबार कितने वाटो कांग्रेस के काटेंगे जिसका फायदा उषा ठाकुर को जीत के रूप में हो सकता है। मुस्लिम आबादी पर विशेष ध्यान है जिनके वोट का बड़ा हिस्सा दरबार के खाते में आ सकता है। फिलहाल यह कहना आसान नहीं है कि चुनाव में कौन जीतेगा क्योंकि यहां गद्दारी व गलतफहमी उम्मीदवारों की मेहनत पर हावी पड़ सकती है। यह कहा जा सकता है कि जीतने वाले उम्मीदवार का हारने वाले से वोट का अंतर कोई बहुत ज्यादा नहीं होगा।

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