ख्यात साहित्यकार शरद पगारे प्रतिष्ठित ‘व्यास समान’ से विभूषित किए जाएंगे
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विहान हिंदुस्तान न्यूज
साहित्य के क्षेत्र में देश में ज्ञानपीठ के बाद सबसे बड़ा पुरस्कार माने जाने वाला के. के. बिड़ला फॉउंडेशन का ‘व्यास सम्मान’ भारत के जाने-माने साहित्यकार श्री शरद पगारे को 11 जनवरी को शाम 5 प्रेस क्लब इंदौर में एक गरिमामय कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम की मुख्य अथिति पूर्व लोकसभा स्पीकर श्रीमती सुमित्रा महाजन होंगी। विशेष अतिथि देवी अहिल्या विश्व विद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन होंगी। के.के. बिड़ला फाउंडेशन, नईदिल्ली के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। ‘व्यास सम्मान’ प्रो. शरद पगारे को उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘ पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी’ के लिए दिया जा रहा है। सम्मान के तहत के. के. बिड़ला फाउंडेशन मंजूषा,प्रशस्ति प्रत्र और 4 लाख रुपए की सम्मान राशि देता है। श्री शरद पगारे व्यास सम्मान प्राप्त करने वाले म.प्र. के पहले व एकमात्र लेखक हैं।
इंदौर के श्री शरद पगारे पिछले लगभग 65 सालों से साहित्य साधना में रत हैं। अब तक उनके 8 उपन्यास,10 कथा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त इतिहास पर उनकी 12 पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं। गुलारा बेगम शरद जी का सबसे लोकप्रिय उपन्यास है जिसके हिंदी में 11 संस्करण अब तक प्रकाशित हुवे हैं। गुलारा बेगम उपन्यास पाठकों में इतना लोकप्रिय है कि इसका मराठी, गुजराती, उर्दू, मलयालम और पंजाबी में अनुवाद हो कर प्रकाशन भी हुआ है।
श्री पगारे को देश में ऐतिहासिक उपन्यास लेखन की परंपरा को न केवल पुनर्जीवन दिया है वरन उसे नया मोड़ भी दिया है। आपने अपने उपन्यास लेखन में ऐसे चरित्रों पर कार्य किया है जो न अपने काल में महत्वपूर्ण होने के बाद उपेक्षित रहे। श्री पगारे ने उन्हें अपनी कलम से न्याय दिलाने का कार्य किया है।
मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक नगर बुरहानपुर पर श्री पगारे के दो उपन्यास ‘ गुलारा बेगम’ और ‘बेगम जैनाबादी’ हैं। हिंदी साहित्य में किसी नगर के ऐतिहासिक घटनाक्रम पर दो उपन्यास लिखने की दूसरी मिसाल नहीं मिलती। इसी प्रकार उज्जैन में 2000 वर्ष पूर्व हुवे घटनाक्रम पर आपका लोकप्रिय उपन्यास ‘गन्धर्व सेन’ है।
प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित कृति ‘पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी’मौर्य युग के वैभव से पाठक का परिचय कराती है। यह उपन्यास इस लिए भी अत्यंत लोकप्रिय है क्योंकि यह इतिहास में उपेक्षित नारी महान सम्राट अशोक की मां धर्मा की कथा-व्यथा कहता है। इस उपन्यास का शीघ्र ही उड़िया भाषा में अनुवाद हो कर प्रकाशन हो रहा है।
अनेक साहित्यिक सम्मानों से नवाज़े जा चुके श्री शरद पगारे का एक अन्य उपन्यास ‘उजाले की तलाश’ है। नक्सलवाद की पृष्ठभूमि पर लिखा गया यह उपन्यास इतना लोकप्रिय हुवा की इसका अंग्रेज़ी में अनुवाद हुवा और देश के अंग्रेज़ी के प्रतिष्ठित पब्लिशर रूपा पब्लिकेशन से इसका प्रकाशन हुआ है। ‘जिंदगी के बदलते रूप’ आपका एक अन्य लोकप्रिय उपन्यास है। इसी प्रकार कथा संग्रहों में नारी के रूप, सांध्य तारा, चन्द्रमुखी का देवदास हिंदी के पाठकों में काफी लोकप्रिय है।
श्री शरद पगारे की एक अन्य महत्वपूर्ण पुस्तक ‘भारत की श्रेष्ठ ऐतिहासिक कहानियां’ है। इस पुस्तक में उन्ही प्रेम प्रसंगों पर उन्होंने कलम चलाई है जिनके ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं। आपके दावा है कि यह कथा संग्रह विश्व में अनूठा इसलिए है क्यूंकि किसी देश में अभी तक साहित्य में ऐसा कार्य नहीं हुआ है।
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