आखिरकार डॉ. सोमानी फिर आए इंदौर, प्रशासन के लिए आसान की उच्च शिक्षा के शिक्षकों को ड्यूटी पर लेने की राह

विहान हिंदुस्तान न्यूज

अपने रसूखदार विरोधियों को जबरदस्त जवाब देते हुए प्राध्यापक डॉ. मनोहर दास सोमानी ने फिर इंदौर वापसी कर ली है। उन्हें भेरूलाल पाटीदार स्नातकोत्तर कॉलेज से कार्यमुक्त कर दिया गया है जिसके बाद वे जिला प्रशासन में बैठ गए हैं। जिला प्रशासन के पत्र पर यह कार्रवाई होना सामने आ रहा है। इस घटनाक्रम की उच्च शिक्षा विभाग में काफी चर्चा है जिसमें कहा जा रहा है कि ऐसे तो जिला प्रशासन बिना उच्च शिक्षा विभाग के किसी को भी अपने यहां पदस्थ कर सकता है। उधर, उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव वीरन सिंह भेलावी का कहना है हम भेरूलाल पाटीदार कॉलेज से मामले की पूरी जानकारी मांगेंगे ताकि इस मसले पर आगे कार्रवाई की जा सके। उच्च शिक्षा विभाग के कर्मचारी को बिना विभाग की स्वीकृति के कोई भी अन्य विभाग नहीं ले सकता है।

वाणिज्य संकाय के प्राध्यापक डॉ. मनोहर दास सोमानी ने सोमवार को जिला प्रशासन में एक बैठक ली। वे म.प्र. कर्मचारी चयन मंडल में नोडल अधिकारी के पद पर हैं। इस पद का मूल काम जिला प्रशासन व अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा के बीच समन्वय बनाना है। यह काम डॉ. सोमानी लगभग दो सालों से देख रहे हैं। अभी तक वे अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग (एडी) इंदौर में अटैच थे। डॉ. सोमानी के अटैचमेंट को लेकर उच्च शिक्षा विभाग के ही कुछ रसूखदार नाराज थे हालांकि पूर्व में इन्होंने ही डॉ. सोमानी की मदद की थी। पिछले सप्ताह उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव वीरन सिंह भेलावी का एक पत्र अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा इंदौर डॉ. किरण सलूजा को मिला जिसमें उन्होंने डॉ. सोमानी को तत्काल कार्यमुक्त करने के लिए निर्देशित किया था। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि यदि डॉ. सोमानी को कार्यमुक्त नहीं किया जाता है तो एडी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। डॉ. किरण सलूजा ने डॉ. सोमानी को रिलीव तो कर दिया जिसके बाद वे महू गए और भेरूलाल पाटीदार कॉलेज में ज्वाइनिंग देकर दो दिन की छुट्टी पर चले गए। इसके बाद एक आदेश जिला प्रशासन से भेरूलाल पाटीदार कॉलेज पहुंचा जिसके बाद कॉलेज के प्राचार्य  डॉ. प्रवीण ओझा ने डॉ. सोमानी को रिलीव कर दिया। अब उच्च शिक्षा विभाग में चर्चा इस बात की है कि डॉ. सोमानी की तरह म.प्र. के विभिन्न हिस्सों में जिला प्रशासन किसी भी सहायक प्राध्यापक-प्राध्यापक या अन्य स्टॉफ को अपने यहां पदस्थ कर सकता है यानी उसे उच्च शिक्षा विभाग से स्वीकृति की कोई आवश्यकता नहीं है। एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि डॉ. सोमानी का वेतन कहां से निकलेगा इस पर भी काफी चर्चा है।

डॉ. सोमानी व शिक्षकों के बीच की दूरी के कारण…

महत्वपूर्ण बात तो यह है कि डॉ. सोमानी व शिक्षकों के बीच की दूरी के पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण है। दबी जुबान शिक्षकों का कहना है डॉ. सोमानी का व्यवहार काफी खराब रहता है और वे शिक्षकों को बात-बात पर जलील करते हैं। उन्हें उच्च शिक्षा विभाग में छोटा कलेक्टर के रूप में भी संबोधित किया जाता है। शिकायत यह है कि कलेक्टर के नाम पर वे कर्मचारियों को धमकाते हैं जिसकी जानकारी कलेक्टर को भी नहीं होती है। उधर, डॉ. सोमानी के करीबियों का कहना है कि प्रतियोगिता परीक्षा में ड्यूटी देने के लिए कर्मचारी तैयार नहीं होते हैं। ऐसे में उन्हें मजबूरन सख्ती करना पड़ती है जिसे शिक्षक गलत तरीके से बयां करते हैं। वैसे जो भी मामला है वह जांच का विषय है लेकिन प्रतियोगी परीक्षा कराना भी आवश्यक है जिसके लिए अच्छा समन्वयक होना जरूरी है।

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