…अब इलेक्ट्रानिक ऑटोरिक्शा से शहर में ‘सर्कस’ भी करने लगे चालक

इंदौर शहर में चलता एक ई-रिक्शा

विहान हिंदुस्तान न्यूज

इंदौर शहर में इन दिनों हर मोड़ पर इलेक्ट्रानिक ऑटोरिक्शा दिख जाएगा। ये ई-रिक्शा जहां ट्रेफिक जाम करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं वहीं दुर्घटना के भी शिकार हो रहे हैं। इन ऑटोरिक्शा पर फिलहाल सरकार या प्रशासन का नियंत्रण नहीं होने से ये खुलकर सड़कों पर दौड़ रहे हैं। यही नहीं चार सवारियों की ही अनुमति वाले इन ई-रिक्शाओं में सात से आठ स​वारियां देखी जाती है। अब तो कुछ ई-रिक्शा चालक अपने वाहन पर भारी सामान रखकर भी ले जाते देखे जा सकते हैं जिससे किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।

महू नाका चौराहे से होकर एक ई-रिक्शा चालक भारी लोहे के पाइप का बना जाल लेकर केसरबाग रोड पर जा रहा था जिसे लोग आश्चर्य से देख रहे थे। रिक्शा पर जो जाल बना रखा था वह भारी था जिससे रिक्शा चालक कई बार अपना संतुलन खोता भी पाया गया हालांकि आगे भी हादसे की कोई जानकारी नहीं आई है। सवाल यह उठता है कि शहर में ई-रिक्शा चालक इस तरह के ‘सर्कस’ करते पाए जा रहे हैं फिर भी यातायात पुलिस इन्हें पकड़ती क्यों नहीं? खास बात तो यह है कि परिवहन विभाग से इन ई-रिक्शा चालकों को परमिट लेने की भी जरूरत नहीं है जिससे ये जहां चाहे वहां जा सकते हैं। चूंकि ऑटोरिक्शा (ईंधन वाले) से ये ई-रिक्शा तकरीबन आधे किराये में गंतव्य तक ले जाते हैं जिससे ये काफी चलन में भी है। सस्ते लोक परिवहन का लाभ जनता को मिले यह तो काफी अच्छा है लेकिन सवारियों को बैठाने की क्षमता पर भी इनके चालकों को ध्यान देना होगा। जब दुर्घटना होती है तो खामियाजा यात्री को ही भुगतना पड़ता है। बेटमा के समीप भी कल एक ऐसी ही ​दुर्घटना का शिकार यात्री को होना पड़ा जिसकी मौत हो गई। नियम के अनुसार ई-रिक्शा में चालक के अलावा चार स​वारियां ही बैठ सकती है। चूंकि ये ई-रिक्शा डेढ़ से दो लाख रु. में मिल जाते हैं जिससे इसे खरीदने में आसानी भी रहती है। यही कारण है कि नया कामकाज शुरू करने वालों का ध्यान इस क्षेत्र में जा रहा है।

यातायात जाम करने में सबसे आगे…

इंदौर शहर में आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है जिसमें सबसे ज्यादा ई-रिक्शा ही फंसे दिखते हैं। ध्यान देने वाली बात तो यह है कि कई ई-रिक्शा चालकों की वजह से भी जाम की स्थिति बन जाती है क्योंकि ये अपनी बनावट के कारण कहीं भी घूस जाते हैं। यह भी देखने में आया है कि बिना प्रशिक्षण प्राप्त किये भी कई चालक इसे सड़कों पर उतार लेते हैं। वर्तमान में इंदौर शहर में 5000 से ज्यादा ई-रिक्शा बताई जा रही है जिसके आने वाले सालों में और बढ़ने की संभावना है। यात्रियों को इस ई-रिक्शा का फायदा यह मिलता है कि इसके चलने के दौरान आवाज नहीं होती और बैठने में भी आसानी है यदि चार सवारियां ही बैठे तब। ईंधन या गैस से चलने वाले ऑटो काफी आवाज करते है जिससे इसमें बैठकर मोबाइल आदि पर बात करने से शोर बहुत होता है।

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