एक विज्ञापन से भर्ती, कुछ को पेंशन बाकि को टेंशन

पिछले दिनों इंदौर आए म.प्र. के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव से सहायक प्राध्यापकों व प्राध्यापकों का एक दल मिला। इस दल ने मंत्री से मांग की कि सरकार के भेदभावपूर्ण रवैये के कारण उन्हें पेंशन स्कीम से दूर रखा गया है। इन लोगों का कहना है वे काफी टेंशन में है और मंत्री ही यह टेंशन दूर कर सकते हैं।

ये सहायक प्राध्यापक व प्राध्यापक वर्ष 2005 की बैच के थे। असल में जो विज्ञापन निकला था उससे चयन तो सभी का एकसाथ हुआ लेकिन पोस्टिंग का समय अलग-अलग हो गया। करीब 200 लोगों को 2005 से पहले अपाइंटमेंट हो गया जिन्हें सरकार की जीपीएफ स्कीम का लाभ मिल रहा है यानि इन्हें रिटायर होने के बाद पेंशन मिलेगी। एक हजार से ज्यादा कुछ कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें एनपीएस मिलेगा क्योंकि उनकी पोस्टिंग बाद में हुई। ऐसे लोगों को पेंशन नहीं मिलेगी। जिन्हें पेंशन नहीं मिलना है वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि हमें न्याय मिले। मंत्री यादव का कहना है हम एक कमेटी बना देंगे जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही सरकार के समक्ष इसे रखा जाएगा।

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