कंपनी की दवा टेस्ट में फेल, इलेक्टोरल बांड से कर गए ‘खेल’

सांकेतिक फोटो

विहान हिंदुस्तान न्यूज

भारत की राजनीतिक पार्टियां कितनी बिकाऊ हैं और अपने आर्थिक लाभ के लिए ये पार्टियां किस तरह से जनता को दर्द देने वाली फार्मा कंपनियों के चंदे पर ‘चुप्पी’ साध लेती है यह इलेक्टोरल बांड के खुलासे से पता चलता है। जो फार्मा कंपनियां अपने दवा के टेस्ट में फेल हो गई उन्होंने इलेक्टोरल बांड से राजनीतिक पार्टियों को जबरदस्त चंदा दिया है। इस चंदे के खेल में देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियां भाजपा-कांग्रेस के अलावा अन्य कुछ पार्टियां भी शामिल है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इन फार्मा कंपनियों ने सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को भी करोड़ो रुपये का राजनीतिक चंदा दिया है। सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को इतना चंदा देने के लाभ पर तो विशेष रूप से जांच होना चाहिए। जांच तो यह भी होना चाहिए कि इन आरोपी कंपनियों पर क्या कार्रवाई हुई? आपको बता दें अधिकांश कंपनियों की वे दवाई टेस्ट में फेल हुई जो ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोविड आदि के काम में आती हैं यानी मरीज के लिए दवाएं यमराज का काम कर जाती है।

ध्यान देने वाली बात तो यह है कि 23 फार्मा कंपनियों और एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल तेलंगाना) ने इलेक्टोरल बांड के जरिये तकरीबन 762 करोड़ रुपये का चंदा राजनीतिक पार्टियों की झोली में डाला है। ये कंपनियां हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मलेरिया, कोविड या दिल की बीमारियों के उपचार करने वाली दवाएं बनाती है और इनके ड्रग, टेस्ट में फेल होते रहे हैं। इन कंपनियों में प्रमुख रूप से टोरेंट फार्मास्युटिकल लिमिटेड, सिप्ला लिमिटेड, सन फार्मा लेबोरेटरीज लिमिटेड, जाइडस हेल्थकेयर लिमिटेड, हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड और हेटेरो लैब्स लिमिटेड, इंटास फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड, आईपीसीए लैबोरेट्रीज लिमिटेड, ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड आदि शामिल बताए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जांच इस बात की होना चाहिए कि जिन कंपनियों की दवाएं परीक्षण में फेल हुई उसके बाद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई या नहीं? क्या उन पर आरोप पत्र दायर किये गए? अगर आरोप पत्र दायर हुए तो क्या कार्रवाई कहां तक पहुंची? यह भी देखना होगा बांड के माध्यम से पैसा चुकाने के बाद उनपर कार्रवाई रोक दी गई?  

विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि चूंकि सरकार फार्मा कंपनियों की रेगुलेटर या नियामक है इसलिए वह गुणवत्ता जांच और मंजूरी देने के मामले में उनके व्यवसायों पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालती है। कंपनी की किसी दवा को अनुमति देने में जरा सी देर भी उक्त कंपनी को महंगी पड़ सकती है और ये माना जा रहा है कि शायद इसी सबसे बचने के लिए ये कंपनियां राजनीतिक दलों को पैसा देती है।

एक नजर में दवा कंपनियां व बांड की राशि –

टोरेंट फार्मास्यूटिकल लिमिटेड

-इस कंपनी का रजिस्टर्ड ऑफिस गुजरात के अहमदाबाद में है। साल 2018 से 2023 के बीच इस कंपनी की तीन दवाईयां ड्रग टेस्ट में फेल हुई। ये दवाएं थीं डेप्लेट ए 150 (दिल का दौरा पड़ने से बचाती है), निकोरन आईवी 2 (दिल के कार्यभार को कम करती है) और लोपामाइड (दस्त के इलाज के लिए)। कंपनी ने 61 करोड़ रु. के इलेक्टोरल बांड भाजपा को, 7 करोड़ के बांड सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चो को और 5 करोड़ रु. कांग्रेस को चंदे के रूप में दिए।

सिप्ला लिमिटेड :-

-सिप्ला का दफ्तर मुंबई में है। इसके भी ड्रग 2018 से 2023 के बीच फेल हुए थे। सात बार ड्रग टेस्ट में फेल हुई। इसमें आरसी कफ सिरप, लिपवास टैबलेट, ओन्डेनसेट्रान और सिपरेमी इंजेक्शन शामिल है। कंपनी ने 37 करोड़ रुपये के बांड भाजपा को और 2.2 करोड़ के बांड कांग्रेस को दिए।

सन फार्मा लेबोरेटरीज लिमिटेड :-

-इस कंपनी का आफिस मुंबई में है। साल 2020 और 2023 के बीच छह बार इस कंपनी की बनाई गई दवाएं ड्रग टेस्ट में फेल हुई है। ये दवाएं कार्डीवास, लैटोप्रोस्ट आई ड्रॉप्स और फ्लेक्सुरा डी है। कंपनी ने 31.5 करोड़ रुपये के बांड खरीदे और सारे बांड भाजपा को दिए।

जाइडस हेल्थकेयर लिमिटेड :-

-कंपनी का मुख्यालय मुंबई में है। 2021 में बिहार के ड्रग रेगुलेटर ने इस कंपनी की बनाई गई रेमडेसिविर दवाओं के एक बैच में गुणवत्ता की कमी की बात कही थी। रेमडेसिविर का इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया गया था। इस कंपनी ने 29 करोड़ रुपये के बांड खरीदे जिसमें से 18 करोड़ रुपये भाजपा को, 8 करोड़ रुपये सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा और 3 करोड़ रुपये कांग्रेस को दिए।

हेटेरो ड्रग्स लि. और हेटेरो लैब्स लिमिटेड :-

-इस कंपनी का मुख्यालय तेलंगाना के हैदराबाद में है। साल 2018 और 2021 के बीच इस कंपनी की बनाई गई दवाओं के 7 ड्रग टेस्ट में फेल हुए थे। फेल हुए ड्रग्स में रेमडेसिविर इंजेक्शन, मेटफॉरमिन और कोविफोर शामिल थीं। रेमडेसिविर और कोविफोर का उपयोग कोविड के इलाज में जबकि मेटफॉरमिन का इस्तेमाल डायबि​टीज में किया जाता है। कंपनी ने 55 करोड़ रुपये के बांड खरीदे जिसमें से 50 करोड़ रुपये के बांड तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को दिए व पांच करोड़ के बांड भाजपा को दिए।

इंटास फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड :-

-इस कंपनी का मुख्य ऑफिस गुजरात के अहमदाबाद में है। कंपनी की दवा एनाप्रिल टेस्ट में फेल हुई थी। यह दवाई उच्च रक्तचाप और हार्ट फेलियर के उपचार में उपयोग की जाती है। दिल का दौरा पड़ने के बाद भी इस दवाई का उपयोग किया जाता है। कंपनी ने 20 करोड़ रुपये के बांड खरीदे और सभी भाजपा को दिए।

आईपीसीए लैबोरेट्रीज लिमि​टेड :-

-इस कंपनी का मुख्यालय मुंबई में है। अक्टूबर 2018 में इस कंपनी की बनाई दवा लारियागो टेबलेट का ड्रग टेस्ट में फेल हुआ था। लारियागो का उपयोग मलेरिया की रोकथाम और उपचार के लिए किया जाता है। कंपनी ने 13.5 करोड़ रुपये के बांड खरीदे जिसमें से 10 करोड़ भाजपा को और 3.5 करोड़ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को दिए।

 ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड :-

-इस कंपनी का मुख्यालय मुंबई में है। साल 2022 से 2023 के बीच कंपनी के छह ड्रग टेस्ट में फेल हुए थे। टेल्मा एएम, टेल्मा एच और जिटेन टेबलेट इसमें शामिल है। टेल्मा एएम और टेल्मा एच हाई ब्लड प्रेशर के उपयोग में आती है जबकि जिटेन टेबलेट डायबिटीज के इलाज में आती है। इस कंपनी ने 9.75 करोड़ रुपये के बांड खरीदे और ये सभी बांड भाजपा को दिए गए।

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