स्वास्थ्य विभाग में 119 फर्जी नियुक्तियां, ट्रांसफर के साथ एम्प्लाई कोड भी फर्जी खोल डाले
मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
स्वास्थ्य विभाग में कितनी अंधेरगर्दी चलती रही इस बात के प्रमाण कुछ सामने आए हैं। यहां 119 पदों पर फर्जी नियुक्तियां होने के साथ इन कथित कर्मचारियों के एम्प्लाई कोड भी फर्जी खोल दिए गए। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि जब इन्हें ट्रांसफर चाहिए था तो इन्होंने फर्जी ट्रांसफर आदेश भी निकाल डाले। खास बात तो यह है कि चार साल पहले कुछेक मामले पकड़े भी गए लेकिन उसे जांच में डाल दिया गया जो लंबे समय तक धीमी गति से चलती रही। हाल ही में स्वास्थ्य आयुक्त आकाश त्रिपाठी ने एक आदेश जारी करते हुए सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है कि संदिग्धों की भर्ती, स्थानांतरण व एम्प्लाई कोड कैसे खोले गए इसकी जांच कर रिपोर्ट दें।
असल में कुछ सालों पहले स्वास्थ्य विभाग में बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां की गई थी। इसमें मल्टी परपज वर्कर (एमपीडब्ल्यू), लैब टेक्नीशियन,एएनएम, स्टाफ नर्स, ड्रेसर, कैशियर, वार्डबाय, कम्पाउंडर आदि शामिल हैं। मिली जानकारी के अनुसार कुछ बड़े लोगों की मदद से इस रैकेट ने काम किया और पहले तो उन स्थानों पर फर्जी नियुक्तियां करवा दी जहां ज्यादा किसी का ध्यान न जाए। मसलन इंदौर या बड़े शहरों की बजाय इन्होंने गांव या छोटे शहरों में नियुक्तियों का काम किया। फिर इनके स्थानांतरण मनचाहे स्थान पर करवा दिए जिसके बाकायदा आदेश भी फर्जी निकाल डाले। बात जब वेतन आहरण की होती तो इन्होंने कोषालय में फर्जी एम्प्लाई कोड भी खोल डाले। कुल मिलाकर इन फर्जी लोगों को पूरा सरकारी चोला ओड़ा दिया।
ऐसे खुला राज..
बताया जाता है दतिया में किसी कर्मचारी के विवाद के बाद मामला बाहर आया। तब लोकायुक्त ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। लोकायुक्त ने अपनी कछुआ चाल चलना शुरू किया जिसके चलते वे फर्जी लोग कुछ समय और नौकरी करने में कामयाब रहे जब तक की बात दबी रहती। स्वास्थ्य आयुक्त के रूप में आकाश त्रिपाठी के आने के बाद न सिर्फ 119 फर्जी लोगों के नाम सामने भी आए बल्कि उन्होंने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को इन 119 लोगों की सूची भेजकर उनके जिले से संबंधित लोगों की जांच कर रिपोर्ट भेजने के आदेश भी दिए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी इन संदिग्ध कर्मचारियों के एम्प्लाई यूनिक कोड, जीपीएफ या प्रान नंबर, नियुक्ति आदेश की ही नहीं बल्कि नियुक्ति देने वाले अधिकारी के संबंध में भी जानकारी लेकर अपनी रिपोर्ट में सम्मिलित करेंगे। साथ ही संचालनालय का नियुक्ति के लिए जारी आवंटन आदेश भी वह जांच करके रिपोर्ट में लगाएगा। कुल मिलाकर इस जांच से वे अधिकारी भी बेनकाब होंगे जिनकी इसमें हिस्सेदारी थी चाहे वे स्वास्थ्य विभाग के हो या कोषालय के। मंत्रालय के भी लोगों की मिलीभगत इसमें सामने आ सकती है।