भारत में मछली खाने वालों की संख्या बढ़ी, 10 में से 7 करते हैं सेवन… कोरोना के बाद अच्छी सेहत भी एक कारण
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विहान हिंदुस्तान न्यूज
भारत में मछली खाने वालों की संख्या में एकाएक काफी उछाल आया है। यहां 10 में से 7 लोग मछली का सेवन कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आबादी करीब 135 करोड़ है जिसमें से 96.6 प्रतिशत लोग मछली खाते हैं। यह रिपोर्ट 2019 से 2021 की है। रिपोर्ट में 2005-06 से तुलना की गई है। माना जा रहा है कोरोना वायरस से हुई मौतों को देखते हुए सभी में अच्छी सेहत की चाहत बढ़ गई है जिसके चलते मछली की मांग बढ़ना एक कारण बताया जा रहा है। साथ ही अच्छी स्कीन व बाल भी कारण बताए जा रहे हैं। कई डॉक्टर भी मछली खाने की सलाह देने लगे हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की हाल ही में आई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि भारत में इसकी खपत एकाएक काफी बढ़ गई है। यह रिपोर्ट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के साथ कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और वर्ल्डफिश इंडिया द्वारा तैयार की गई है। भारत में मछली खाने वालों की संख्या 23 करोड़ बढ़ी होना बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक मछली खाने वालों की संख्या भारत में 66 प्रतिशत से बढ़कर 72.1 प्रतिशत हो गई है। 2005-06 की रिपोर्ट में मछली खाने वालों की संख्या लगभघ 73 करोड़ बताई गई थी जो वर्तमान में बढ़कर 96 करोड़ के पार हो गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2019-20 के दौरान 5.95 प्रतिशत लोगों ने प्रतिदिन मछली का सेवन किया वहीं 34.8 प्रतिशत लोगों ने सप्ताह में कम से कम एक बार और 31.35 प्रतिशत लोगों ने कभी-कभार मछली का सेवन किया। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों से ज्यादा शहरी क्षेत्रों में साप्ताहिक मछली की खपत बढ़ी है। शहरी क्षेत्रों में यह अनुपात जहां 42.7 प्रतिशत है तो ग्रामीण क्षेत्रों में यह 39.8 प्रतिशत है।
इन बिंदुओं पर भी ध्यान दें :-
-त्रिपुरा में मछली खाने वालों की संख्या प्रतिशत के मान से देश में सबसे अधिक (99.35 प्रतिशत) है जबकि हरियाणा (20.55 प्रतिशत) में सबसे कम है।
-अंडा खाने वालों की संख्या में 7.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि चिकन या मांस खाने वाले लोगों की संख्या 5.45 प्रतिशत बढ़ी है।
-एमएमआरपी के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 2009-10 की तुलना में अंडे, मछली और मांस पर औसत घरेलू खर्च में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमश: 4 प्रतिशत और 3 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है जबकि कुल मिलाकर भोजन पर खर्च की वृद्धि केवल 2.2 प्रतिशत और 2.1 प्रतिशत तक रही।