रूको, देखों और चलों का इशारा करते ग्रह योग
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पंडित राजेश चौबे
अप्रैल-मई के माह बड़े ही डरावने व इंसानी अभिमान को चूर-चूर करने वाले सिद्ध हुए। महामारी में प्रकृति के समक्ष इंसान की हैसियत कुछ भी नहीं है। यह रोते-बिलखते-भागते इंसान को देखकर स्वत: ही सिद्ध हो गया। अपने पूर्व के आलेख में हमने जैसा उल्लेख किया था कि 15 मई के उपरान्त यह काबू में आने लगेगी व फिर धीरे-धीरे इसका प्रकोप कम हो जाएगा। जैसा की अब देखा भी जा रहा है।
जून माह में ग्रह योगों में जो बड़ा बदलाव होगा वह इसी के साथ आगे आने वाले माहों में होने वाले परिवर्तनों का हम सभी के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है उसे हम इस आलेख में समझने का प्रयास करेंगे।
- 23 मई से शनि वक्री हैं जो आगे करीब पांच माह तक वक्री रहने वाले हैं। शनि अपनी स्व राशि मकर में वक्री है।
- दो जून को मंगल अपनी नीच राशि कर्क में प्रवेश करेंगे जहां वे 20 जुलाई तक रहने वाले हैं। यानि लगभग 48 दिनों तक वे इस राशि में रहेंगे।
- मंगल जब कर्क राशि में आएंगे तो मकर राशि स्थित शनि के ठीक सामने होंगे जहां से वे दोनों एक-दूसरे को अपनी-अपनी सजग दृष्टि से देखेंगे।
- शनि व मंगल एक-दूसरे के प्रबल शत्रु हैं। उनका आमने-सामने के घरों में आकर एक-दूसरे को देखने की प्रवृत्ति के साथ ही हर जीवंत प्राणी पर गहरा ऋणात्मक प्रभाव होता है।
- लगभग 48 दिनों तक बनने वाले इस संबंध के फलों को हम समझने का प्रयास करते हैं। (2 जून से 20 जुलाई)
A. शनि वक्री है स्वयं की राशि में – स्व राशि में वक्री होने से उनके अच्छे और बुरे फलों को देने की क्षमता में कमी आएगी।
B. इन हालातों में अपने प्रबल शत्रु मंगल के सामने आ जाने से शनि का विचलन तो बढ़ेगा ही वह पूर्ण शक्ति से मंगल को भी प्रभावित करेगा।
C. फलस्वरूप प्रकृति कुपित हो सकती है। मनुष्यों में क्रोध, उत्तेजना काफी बढ़ सकता है। संक्रमण महामारी के रूप में अपना अस्तित्व लगातार बनाए रख सकता है। आपसी टकराहटें. राजनीतिक उठा-पटक बढ़ सकती हैं। यहां-वहां असमान रूप से वर्षा का कहर सामने आ सकता है। आंदोलन हिंसात्मक हो सकते हैं। आतकंवादी बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। घटना-दुर्घटना में वृद्धि भी इस दौरान देखी जा सकती है। - 20 जुलाई को मंगल आगे बढ़ेंगे उसके पूर्व ही 16 जुलाई को सूर्य देव कर्क राशि में प्रवेश हो जाएंगे जहां वे अगले 30 दिनों तक रहेंगे। वे 17 अगस्त को सिंह राशि का रूख करेंगे।
- अब सूर्य-शनि आमने-सामने होंगे। ये भी परस्पर शत्रु ग्रह हैं। जब भी इस तरह के योग में होते हैं एक-दूसरे के आधिपत्य को नुकसान पहुंचाने का कार्य करते हैं।
- हम योगा-योग (१6 जुलाई से 17 अगस्त) के कारण
A. बड़े राजनीतिज्ञों, सत्ताधीशों, आला अधिकारियों, नामचीन हस्तियों, उद्योगपतियों के साथ ही बड़े फिल्म स्टारों पर भी ऋणात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
B. इसी तरह किसानों व मजदूरों का संघर्ष बढ़ सकता है। इनसे जुड़े आंदोलन हिंसक हो सकते हैं। - 2 जून से शुरू होकर 17 अगस्त शनि-मंगल व सूर्य के आपस में बनने वाले योग समाप्त हो जाएंगे। इसी दौरान कुंभ राशि स्थित गुरु 22 जून से वक्री होकर पुन: अपनी नीच राशि मकर की ओर बढ़ने लगेंगे। 14 सितंबर को मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। जहां वे पुन: एक बार शनि के साथ 16 नवंबर तक रहेंगे।
- पुन: एक बार लगभग 62 दिनों तक शनि-गुरु फिर साथ होंगे। इनके साथ आने के फल को समझते हैं।
A. शनि-गुरु का साथ (14 सितंबर से 16 नवंबर)- भौतिक व अध्यात्मिक दोनों ही तरह की चेतना के लिए सुस्त होने का संकेत करता है। फलस्वरूप हर तरह के लोगों में एक विशेष प्रकार का असुंष्टि का भाव देखा जाएगा।
B. अहंकार की लड़ाईयां सारे संसार में छिड़ सकती है। इन लड़ाईयों के कारण जाति-धर्म-व्यापार, राष्ट्रीय सीमाएं, विस्तारवाद, कूटनीतिक, राजनीतिक कुछ भी हो सकते हैं। - कोरोना महामारी – जून से नवंबर 21 तक के जो जटिल योग हैं वे यह दर्शाते हैं कि बीमारी कम ज्यादा के साथ हमारे साथ बनी रहेगी। इस बीमारी से पूर्णत: मुक्ति गुरु के मीन राशि में प्रवेश 13 अप्रैल 2022 के बाद ही संभव हो सकेगी। जब तक सभी को कोरोना को काबू में रखने वाले अति सरल उपायों मास्क आदि के उपयोग को गंभीरता से अपनाएं रखना चाहिए। यदि ऐसा हम करते हैं तो निश्चित ही कोरोना की कितनी भी लहरे इस एक वर्ष की अवधि में आए हमें प्रभावित नहीं कर पाएगी। सिर्फ अनुशासन व समर्पण की आवश्यकता है।
- वर्षा की स्थिति – वर्षा की स्थिति को हम तीन भागों में बांटकर देखते हैं।
A. 2 जून से 20 जुलाई – इस दौरान शनि-मंगल का दृष्टि संबंध रहेगा। यह असमान स्थितियों का द्योतक है। समय पर आने वाला मानसून कहीं ज्यादा तो कहीं कम बरसेगा। आंधी-तूफान बवंडर जनजीवन को प्रभावित करेंगे। अति वर्षा के कष्ट भी लोगों को सहना पड़ सकते हैं। देश के पूर्वी-पश्चिम व उत्तरी राज्य बारिश के साथ ही प्रकृति के अन्य प्रकोपों से ज्यादा प्रभावित रह सकते हैं। दक्षिण राज्यों से वर्षा कुछ अनमनी व रूठी-रूठी सी रह सकती है। - B. 20 जुलाई से 17 अगस्त – सूर्य व शनि के आमने-सामने होने के इस दौरान सारे देश में अच्छी व व्यापक वर्षा हो सकती है।
- C. 17 अगस्त से 30 सितंबर – इस दौरान वर्षा अपने समापन की ओर बढ़ती दिखेगी। इस समय प्रकृति उपद्रव या भीषण वर्षा जैसे योग न्यूनतम रहेंगे।
- विभिन्न राशि पर प्रभाव -द्वादश राशियों पर 2 जून से 20 अगस्त तक निम्न प्रकार से प्रभाव रहेगा।
A. कर्क, तुला, मकर – विपरीत अधिक
B. धनु, कुंभ, मीन – विपरीत सामान्य
C. मेष, वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या व वृश्चिक – सामान्य