गैर शैक्षणिक कार्य में न लगाएं महाविद्यालयीन शिक्षकों की ड्यूटी

विहान हिंदुस्तान न्यूज

उच्च शिक्षा विभाग से जुड़े महाविद्यालयों में इन दिनों शिक्षकों को लेकर बड़ा विवाद चल रहा है। असल में महाविद्यालयों में ही कार्यों की कमी नहीं है और ऊपर से इन शिक्षकों को अलग-अलग कार्यों या ड्यूटी में रौंद दिया जा रहा है।

इस बात को लेकर शिक्षकों की आवाज उठाने वाले संगठन प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ ने प्रमुख सचिव व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों से अपील की है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों व आयोजनों में ड्यूटी पर न लगाएं। संघ के प्रांताध्क्ष प्रोफेसर कैलाश त्यागी व महासचिव डॉ. आनंद शर्मा ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि उच्च शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों की निरंतर गैर-शैक्षणिक कार्यों एवं आयोजनों में ड्यूटी लगाई जा रही है। इसमें मुख्य रूप से संभागीय आयुक्तों द्वारा कर्मचारी चयन मंडल, लोक सेवा आयोग, संघ लोक सेवा आयोग एवं चुनाव कार्यों में बिना विभाग एवं महाविद्यालय के प्राचार्यों के सहमति के निरंतर ड्यूटी लगाये जाना है। यह एक बड़ी समस्या है क्योंकि शिक्षकों को छात्रों को पढ़ाने के अलावा सीसीई, प्रोजेक्ट, इंटर्नशिप, छात्रवृत्ति के फार्म इकट्ठे करने एवं रेमेडियल क्लास लगाए जाने जैसे ढेरों काम रहते हैं। अचानक ड्यूटी आ जाने से कॉलेज के कार्यों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। इसके चलते कई कॉलेजों में अध्यापन कार्य ही नहीं बल्कि परीक्षाओं पर भी प्रभाव पड़ रहा है। संघ का यह भी कहना है कि प्रदेश के महाविद्यालयों में पिछले साल से नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम लागू किया गया है। अत: छात्रों को अध्यापन एवं शिक्षकों को मार्गदर्शन की आवश्यकता पहले की अपेक्षा और अधिक है। निरंतर गैर शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने से नियमित अध्यापन में बाधा उत्पन्न होती है। इसके चलते कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति भी कम हो रही है। संघ ने कहा है कि प्रमुख सचिव सभी संभागायुक्तों को महाविद्यालयीन शिक्षकों की ड्यूटी प्रतियोगी परीक्षाओं में न लगाने के संबंध में पत्र लिखे ताकि छात्रों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ाने का अवसर मिल सके। संघ ने यह भी आग्रह किया है कि गंभीर ​बीमारी से ग्रस्त या 60 साल से अधिक आयु वाले शिक्षकों को तो कम से कम इन ड्यूटियों से मुक्त रखा ही जाए।

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