उच्च शिक्षा विभाग के दो धुरंधरों में कोल्डवार, शह-मात के खेल में लगे

डॉ. सिलावट एवं प्रो. त्यागी

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
उच्च शिक्षा विभाग म.प्र. के शासकीय विभागों के सबसे बड़े विभागों में आता है। इस विभाग में शासकीय कर्मचारियों की काफी संख्या है खासकर सहायक प्राध्यापकों, प्राध्यापकों तथा प्राचार्यों के पद ज्यादा हैं। इनकी देखरेख व सरकार से सुविधाएं मुहैया कराने के लिए एक संगठन है जिसका नाम प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ जिस सरकार की मान्यता भी प्राप्त है। इस संगठन में दो धुरंधरों के बीच विवाद की जानकारी आ रही है जिसके बाद कोल्डवार तो शुरू हो ही गया है, साथ ही अब बताया जा रहा है शह और मात का खेल शुरू हो गया है। ये धुरंधर हैं संघ के प्रांताध्यक्ष प्रो. कैलाश त्यागी और इंदौर संभाग के अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा व होलकर साइंस कॉलेज इंदौर के प्राचार्य डॉ. सुरेश टी. सिलावट। आपको यह बता दें कि डॉ. सिलावट के भाई प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट हैं जबकि प्रो. त्यागी केंद्रीय मंत्री तथा सेना में सेनाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए जनरल वी.के. सिंह से जुड़े हैं। जनरल वी.के. सिंह ने प्रो. त्यागी के मार्गदर्शन में ही पीएचडी की है।
बात अब करें कि इन धुरंधरों में विवाद कैसे पनपा और यह कोल्डवार में कैसे बदलता जा रहा है। ..असल में संघ के अध्यक्ष प्रो. त्यागी ने संगठन के पदाधिकारियों के चेहरों में बदलाव किया। इस बदलाव में महासचिव पद पर रहे डॉ. सिलावट का नाम उन्होंने नहीं रखा। बताया जाता है इस बात से आहत डॉ. सिलावट के एक ग्रुप ने अपने पद से इस्तीफा देने संबंधी पत्र संघ के अध्यक्ष को सौंपा। एक सामूहिक पत्र इन्होंने अध्यक्ष को लिखा जिसमें उल्लेख किया कि जारी अधिसूचना में डॉ. सुरेश टी. सिलावट का नाम महासचिव पद पर सम्मिलित नहीं किया गया जबकि वे संघ के संस्थापक महासचिव रहे हैं। इंदौर संभाग के समस्त पदाधिकारी इस घटना से व्यथित होकर संघ से त्यागपत्र देते हैं। बताया जाता है अध्यक्ष प्रो. त्यागी के पास जब इंदौर संभाग के पदाधिकारियों के सामूहिक इस्तीफे का यह पत्र पहुंचा तो उन्होंने डॉ. सिलावट को संघ से ही बाहर कर दिया। साथ ही डॉ. सिलावट के कुछ अन्य करीबियों को भी संघ के हटाने संबधी पत्र जारी कर दिए।
कहा तो यह जा रहा है कि विवाद इतना बढ़ गया कि प्रो. त्यागी को इंदौर में नहीं घुसने देने तक की धमकी व्हाया-व्हाया उन तक पहुंचाई गई। अब प्रो. त्यागी न सिर्फ इंदौर आकर संघ से जुड़े लोगों की बैठक करने जा रहे हैं बल्कि यहां पदाधिकारी भी बना रहे हैं। यही नहीं उन्होंने संघ के माध्यम से अतिरिक्त मुख्य सचिव उच्च शिक्षा को एक पत्र जारी किया जिसमें सहायक प्राध्यापकों-प्राध्यापकों की समस्याएं उठाई है। पत्र में प्रो. त्यागी ने मांग की है कि जो प्राचार्य का काम देख रहा है उसे अतिरिक्त संचालक पद की जिम्मेदारी साथ में ही न दे क्योंकि प्राचार्य पद के लिए कई पात्र प्राध्यापक है जिनके साथ न्याय नहीं हो रहा है। प्रो. त्यागी ने यह भी उल्लेख किया है कि कई विधि एवं विज्ञान महाविद्यालय में अन्य संकायो के प्राध्यापक प्राचार्य के पद पर पदस्थ हैं, इस कारण महाविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। गोपनीय चरित्रावली का मामला उठाते हुए प्रो. त्यागी ने यह बात भी उठाई कि शिक्षकों की गोपनीय चरित्रावली में प्रतिवेदक एवं समीक्षक अधिकारी के रूप में एक ही अधिकारी होने के कारण सामान्य प्रशासन विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार त्रिस्तरीय मूल्यांकन संभव नहीं हो पा रहा है जिस कारण भविष्य में पदोन्नति एवं कैरियर एडवांसमेंट में आपत्ति आ सकती है और गोपनीय चरित्रावली प्रतिकूल होने की दशा में शिक्षक इसे न्यायालय में चुनौती भी दे सकते हैं। कई अन्य मामले प्रो. त्यागी ने उठाए हैं जिसे डॉ. सुरेश टी. सिलावट से जोड़कर ज्यादा देखा जा रहा है क्योंकि वे होलकर साइंस कॉलेज के प्राचार्य होने के साथ अतिरक्त संचालक का प्रभार भी देख रहे हैं। साथ ही वे वाणिज्य संकाय के शिक्षक हैं और विज्ञान संकाय के कॉलेज में प्राचार्य है। विशेष बात यह है कि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव डॉ. सिलावट का भी उतना ही ध्यान रखते हैं जितना प्रो. त्यागी का ध्यान रखते हैं।

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