अस्पताल के रूम का होटल जैसा टाइम
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देश में अस्पतालों के रूम्स के चार्ज को लेकर कोई कानून नहीं बना है जिससे अस्पताल संचालक मनमाना पैसा वसूलते हैं। इसका सीधा-सीधा नुकसान मरीज व उसके परिजनों की जेब पर पड़ता है।
होटलों में चेक आउट टाइम के हिसाब से बिल बनाया जाता है। मसलन कोई यात्री रात 8 बजे होटल पहुंचा और उस होटल का चेक आउट टाइम सुबह १0 बजे का है तो यात्री को पूरे दिन का किराया देना होगा। यही नहीं यदि यात्री को अगले दिन दोपहर एक बजे जाना हो तो उसे पूरे दिन का किराया बचाने के लिए १0 बजे रूम खाली करना होगा या फिर दिन में एक बजे रूम खाली करने पर पूरे दिन का किराया जमा करना होगा। कुछ ऐसी ही स्थिति अस्पतालों की भी है। मरीज रात को एक बजे भी भर्ती हुआ तो उसे अस्पताल के चेक आउट टाइम से ही बिल का भुगतान करना होगा। अस्पताल जैसी जगह में तो प्रति घंटे के हिसाब से किराया लेने के नियम बनाने चाहिए। पिछले कुछ सालों से कई लोगों ने मेडिक्लेम, मुख्यमंत्री सहायता कोष या अन्य बीमा कंपनियों से भुगतान कराए हैं जिससे बिल की राशि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की जेब से ही ज्यादा जा रही है। सरकार यदि अस्पतालों व होटलों के बिलों का भुगतान प्रति घंटे के हिसाब से लगा दे तो बड़ी समस्या दूर हो सकती है।