हम पौधा लगाएं..

आओ एक पौधा हम लगाए
धरा के आंचल में
सुखों की हरियाली बसाए
मानव सोच जो हो गई कलुषित
कट गए पेड़ थम गई सांसे
उससे इस धरा को बचाए,
वृक्ष प्रकृति के आनंद का उत्सव है
मानव के सांसों का प्राण आधार है
आओ करे रक्षा इसकी तन मन से

-देवेन्द्र बंसल, इंदौर

संकल्पित भाव मन से हम सब
वृक्षारोपण की अलख जगाए
कर श्रृंगार धरा का उसको जगमगाएं
बची रहे संपदा हमारी यह सोच का
नैसर्गिक भावपुष्प मन आंगन में लाए
यही वंदन है यही वंदन हैं

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