आत्मनिर्भर भारत ने चीन की आर्थिक सेहत को किया खराब


विहान हिंदुस्तान न्यूज
कोरोना वायरस के जनक चीन को विश्व मार्केट में हेय दृष्टि से देखा जाने लगा है। कई देशों ने उसके सामान को खरीदने में रूचि दिखाना कम कर दी भले ही उन्हें महंगा आयटम ही क्यों न आयात करना पड़े। चीनी माल का बड़ा खरीददार भारत था लेकिन कोरोनाकाल में उसने जाना कि आत्मनिर्भरर बनना कितना जरूरी है। आज आत्मनिर्भर भारत बनने से चीन की आर्थिक सेहत खराब होने लग गई है। चीन में मंगलवार को जारी एक सर्वेक्षण के मुताबिक निर्यात मांग कमजोर पड़ने से अगस्त में विनिर्माण गतिविधियां सुस्त पड़ गई है। दूसरी तरफ भारत के लिए खुशखबर यह है कि उसका वित्त वर्ष 2021-22 पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ग्रोथ रेट रिकॉर्ड 20.1 फीसदी रही। जबकि पिछले साल पहली तिमाही में निगेटिव 23.9 फीसदी ग्रोथ रेट थी। किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का जीडीपी सबसे अच्छा तरीका है।
चीन के सांख्यिकी ब्यूरो और एक आधिकारिक उद्योग समूह की ओर से तैयार किया गया मासिक क्रय प्रबंधक सूचकांक जुलाई में 50.4 से घटकर अगस्त में 50.1 हो गया। इस सूचकांक में 50 से अधिक अंक गतिविधियों में बढ़ोतरी को दर्शाता है। कुछ साल पहले तक मोबाइल बाजार में चीन किंग था लेकिन कुछ समय से भारत इस क्षेत्र में चीन को कड़ी टक्कर दे रहा है। सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम से भारत की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को काफी फायदा मिला है। इससे मोबाइल फोन निर्यात में 250 फीसदी की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई। आंकड़ों को देखें तो चीन के बाद भारत स्मार्टफोन का सबसे बड़ा बाजार बन चुका है। इसके अलावा फार्मेसी सेक्टर में भी भारत ने चीन को काफी हद तक पीछे धकेला है।

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