प्रवासी भारतीय सम्मेलन में सबसे ज्यादा 715 यूएई से आ रहे निवेशक
विहान हिंदुस्तान न्यूज
भारतीय विदेश मंत्रालय के सहयोग से म.प्र. सरकार द्वारा इंदौर में आयोजित 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन में 66 देशों के कुल 2705 प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा यूएई के निवेशक होंगे जिनकी संख्या 715 है। यूएई के बाद मॉरिशस से सबसे ज्यादा 447 प्रतिनिधि इंदौर आकर संभावनाएं टटोलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने के सफल प्रयासों से प्रवासी भारतीय सम्मेलन को गति मिली है। उन्होंने इंडोनेशिया जाकर इंदौर के इस सम्मेलन में शामिल होने का आग्रह निवेशकों से किया था। खुशी की बात यह है कि खाड़ी देशों के निवेशकों ने इंदौर सम्मेलन को लेकर उत्साह जताया है। कतर से 275, ओमान से 233, कुवैत से 95 और बहरीन से 72 प्रतिनिधयों ने सम्मेलन में आने की स्वीकृति दी है जिसे लेकर सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ए.पी. सिंह ने मीडिया को जानकारी दी है। इस समारोह में भारतीय विदेश मंत्रालय की साझेदारी है जबकि निवेशकों का सम्मेलन पूरी तरह से म.प्र. सरकार आयोजित कर रही है। यदि सम्मेलन में आने वाले निवेशकों की बात करें तो अमेरिका से अब तक 167 प्रतिनिधियों ने स्वीकृति दी है। वैसे तो सम्मेलन 8 जनवरी से शुरू होगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 जनवरी को इसकी औपचारिक शुरूआत करेंगे। 10 जनवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस आयोजन का समापन करेगी। 11 व 12 जनवरी को इंदौर में ही निवेशकों का सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करेंगे। प्रवासी भारतीय सम्मेलन के मुख्य अतिथि सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी होंगे जबकि विशेष अतिथि के रूप में गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली मौजूद रहेंगे।
इसलिए म.प्र. सुविधाजनक है
प्रश्न यह आता है कि म.प्र. में निवेशक क्यों रूचि लें? इसके जवाब में सरकार यह बता रही है कि म.प्र. भारत का हृदय है। यहां से देश की 50 प्रतिशत आबादी तक पहुंचा जा सकता है जो अन्य प्रदेशों में नहीं मिलेगा। दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर हो या फिर दिल्ली-नागपुर औद्योगिक कॉरिडोर अथवा ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर व दिल्ली-मुंबई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे, म.प्र. से इन आधुनिक सड़क मार्गों से सामान पहुंचाने की काफी सहुलियत है। बात यदि देश के जलवायु क्षेत्र की करें तो उसमें म.प्र. सबसे बेहतर है। देशभर में कुल 17 जलवायु क्षेत्र हैं जिनमें से 11 म.प्र. में है। यही कारण है कि यहां हर प्रकार की फसल पैदा हो जाती है। कुछ किसान तो यहां कैसर की खेती का भी सफल प्रयोग कर चुके हैं।