आईएसआईएस में अमेरिका, ब्रिटेन व यूरोपियन देशों की पौने पांच हजार महिलाएं गई, 80 प्रतिशत मुस्लिम..बनी यौन गुलाम

ब्रिटेन की शमीमा बेगम जब 15 साल की थी तब आईएसआईएस में भर्ती हुई थी।

विहान हिंदुस्तान न्यूज

द केरल स्टोरी 5 मई 2023 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म को लेकर पहले से ही बवाल मच गया है हालांकि सेंसर बोर्ड ने इसके कुछ सीन काट भी दिए हैं। फिल्म में बताया गया है कि केरल से करीब 32 हजार युवतियों को फंसाकर आईएसआईएस को सौंप दिया गया था जिसमें हिंदू व ईसाई युवतियां थी। बात यदि अमेरिका, ब्रिटेन या यूरोप के कुछ देशों की करें तो एक रिपोर्ट में पौने पांच हजार औरतों के आईएसआईएस में शामिल होने का खुलासा हुआ था हालांकि इतने ही माइनर (नाबालिग) भी आतंकी संगठन में शामिल हुए। खास बात तो यह है कि इन औरतों में 80 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं थी। आपको बता दें साल 2013 में आतंकी संगठन अल कायदा से टूटकर आईएसआईएस बना। आईएसआईएस इस्लाम का खुद को ज्यादा हिमायती बताता है।

यदि आईएसआईएस में भर्ती को लेकर बात करें तो साल 2019 में लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स की एक रिपोर्ट-फीमेल रेडिकलाइजेशन: व्हाई डू वीमन ज्वाइन आईएसआईएस में इसका खुलासा किया गया है। रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपियन देशों के लगभग 41,500 लोगों ने आतंकी संगठन आईएसआईएस को ज्वाइन किया जिसमें पौने पांच हजार औरतें और लगभग इतने ही माइनर थे। रिपोर्ट बताती है कि युवा लड़कियों को आईएसआईएस का खेमा जल्दी फंसा लेता था जिससे उसका मुख्य टारगेट युवा लड़कियां ही थी। ब्रिटेन की शमीमा बेगम की बात करें तो वह जब 15 साल की थी तब वे भी आईएसआईएस का हिस्सा बन गई लेकिन शमीमा को जिस तरह टार्चर किया गया वह खुद परेशान हो गई। शमीमा के तीन बच्चों की तो यहां मौत हो गई। इसके अलावा वह जब वापस ब्रिटेन जाना चाहती थी तो उसके देश ने उसे लेने से मना कर दिया। सीरिया के कैंपों में आज भी हजारों ऐसी औरते हैं जो आईएसआईएस में शामिल होकर पछता रही है। इन महिलाओं व युवतियों का कहना है आईएसआईएस के लड़ाके उन्हें सेक्स स्लेव यानी यौन गुलाम बनाकर रखते थे। ये लड़ाके औरतों को खाना बनाने, सेक्स के लिए या फिर सुसाइड बाम्बर के रूप में ही रखते थे। युवा लड़कियों को पहले तो प्यार के जाल में फंसाया जाता था, फिर उन्हें आईएसआईएस के कुछ युवा लड़ाकों के वीडियो बताए जाते थे जिसमें वे एक्सरसाइज करते दिखाई देते थे। फंसाई जाने वाली लड़कियों को हाईप्रोफाइल जीवन जीने की बात कही जाती थी लेकिन जब वे आईएसआईएस के चुंगल में पहुंच जाती थी तब पता चलता था वे गुलाम बन चुकी है। इन औरतों, युवतियों के साथ बलात्कार, मारपीट या अन्य तरह की बर्बरता होती थी। अभी भी आईएसआईएस जहां हैं वहां से वह लड़कियों को फंसाने के लिए अलग-अलग तरह के अभियान चला रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि अल कायदा से कभी इस तरह की शिकायत नहीं आई है या आई भी होगी तो वह बाहर नहीं निकली।

32 हजार युवतियां गई तो कहां थी सरकार?

द केरल स्टोरी की बात करें तो यह विवाद में है। बात यह भी उठ रही है कि केरल से 32 हजार हिंदू-ईसाई युवतियां आईएसआईएस में ले जाई गई तो यह राज्य व केंद्र सरकार के साथ हमारी खुफिया एजेंसियों पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न है। यदि यह बात सही है तो इस मामले पर सेंसर की कैंची का उतना महत्व नहीं है जितना सरकार के डंडे का जोर होना चाहिए। देश से लड़कियां आईएसआईएस में ले जाई जाती रही और संसद में चुप्पी रही यह आश्चर्यजनक है। इस मामले में तो उच्च स्तरीय जांच होकर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाना आवश्यक है।

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