एक विकासशील मानसिकता के माध्यम से सर्वांगीण कल्याण को बढ़ावा देने की शिक्षकों में जरूरत-डा. साहनी

विहान हिंदुस्तान न्यूज

जिंदल इंस्टीट्यूट आफ बिहेवियरल साइंस के प्रधान निदेशक प्रख्यात प्रोफेसर डॉक्टर संजीव पी सैनी ने शिक्षकों की एक कारगर सभा में शनिवार को स्कूल में के प्रधानाध्यापकों ,शिक्षकों और सलाहकारों के लिए भावनात्मक कल्याण और तनाव प्रबंधन पर होटल मैरियट इंदौर में एक सत्र आयोजित किया। इस प्रभावशाली सत्र में 50 स्कूलों के ढाई सौ से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया ,जिसमें तनाव प्रबंधन तकनीकों जैसे माइंडफूलनेस, मेडिटेशन और शारीरिक व्यायाम को शामिल करके सही कार्य जीवन संतुलन बनाए रखने के महत्व पर बल दिया।
इस कार्यक्रम को समाज के वंचित और कमजोर वर्गों से संबंधित स्कूली शिक्षकों को बेहतर शिक्षण कौशल से लैस करने के उद्देश्य से लागू किया गया है। इस प्रकार हम 21वीं सदी में कौशल को विकसित करते हैं और विकास की मानसिकता के माध्यम से समग्र कल्याण को बढ़ावा देते हैं। हमारे शोध सूचित कार्यक्रम शिक्षकों को उनके शिक्षण कौशल को तेज करने और विषय वस्तु की विशेषज्ञता को बढ़ाने में मदद करते हैं। डॉ साहनी जिन्हें हाल ही मैं वर्ल्ड सोसाइटी आप विक्टिमोलॉजी के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया है ने यह बात शिक्षकों के सम्मुख कही।
यह उल्लेख करना उचित होगा कि डॉ साहनी द्वारा आयोजित विशेष शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है वर्तमान मॉडल को प्रसिद्ध वहार्टन क्यूएस क्वाक्वेरेली साइंमड्स सस्टेनेबिलिटी एजुकेशन अवार्ड के लिए चयनित किया गया है। इसे दुनियाभर के शीर्ष 12% नवाचार में स्थान दिया गया है।
“काम का दबाव,तेजी से बदलती शैक्षणिक मांगे और अपने स्वयं के कौशल विकास और पोषण करने के लिए सीमित संसाधनों ने शिक्षकों पर अत्यधिक दबाव डाला है इन्हीं कारणों से शिक्षकों पर बिना किसी वित्तीय बोझके शिक्षकों को सशक्त बनाने के लिए जे आई बी एस शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम (टी टी पी एस) आयोजित कर इन अंतर को पाटने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।” अब तक डॉ साहनी और उनकी जे आई बी एस के शोधकर्ताओं की टीम ने दुनिया भर के 8000 से अधिक स्कूलों में 200000 से अधिक शिक्षकों और स्कूल प्रशासकों को प्रशिक्षित किया है।
तनाव प्रबंधन के ठोस तकनीकों का अभ्यास करने में शिक्षकों और स्कूल स्टाफ की सहायता करने के लिए इन शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत के अलावा संयुक्त अरब अमीरात, पाकिस्तान,अफगानिस्तान,नेपाल,भूटान, बांग्लादेश, किर्गिस्तान ,म्यानमार, इंडोनेशिया, श्रीलंका, बुलगारिया और मालदीप जैसे देशों में आयोजित किए गए हैं।
इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दायरे का और विस्तार किया जा रहा है, डिस्प्रेक्सिया या विकासात्मक समन्वय विकास (डी सी डी)जिसमें बच्चों में समय निर्धारण की समस्या, डिसग्राफिया जिसमें बच्चों को लिखने में समस्या होती है, जैसे विकारों से निपटने के लिए भी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

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