सुभाष शर्मा

जिन्दगी में गम हो भारी।
रोशनी अन्धेरो से हो हारी।
उम्मीदें तुम जगाए रखना
एक दीपक जलाए रखना।

मुकाबला तुम वक्त से करो।
आने वाले कल से ना डरो।
आशाओं पे दुनिया खड़ी है।
कठिनाई से हरदम लड़ी है।

सब डरे डरे से क्यों रहते हो।
जिन्दा हो मरे से क्यों रहते हो।
जिन्दगी को तुम जीना सीख लो।
दुनिया के मेले में जीना सीख लो।

अकेले आए अकेले ही जाओगे।
रोते रहे तुम तो यहाँ क्या पाओगे।
जितनी खुशी बने यहाँ समेट लो।
अपने सारे गमों को यार लपेट लो

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