जम्मू-कश्मीर में अटका 2017 के मनरेगा का पैसा
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जम्मू-कश्मीर में मजदूर वर्ग की नाराजगी कुछ दिनों से बढ़ रही है। इन मजदूरों को वर्ष 2017 में मनरेगा मद की राशि का भुगतान आधा ही हुआ। अब ये लोग अधिकारियों के पास जा रहे हैं तो वे दिल्ली से बजट नहीं आने की बात कर रहे हैं।
बारामूला निवासी फारूख मीर ने विहान हिंदुस्तान को बताया वर्ष 2017 में जिन लोगों ने मजदूरी की या जिन ठेकेदारों ने निर्माण कार्य किए उनकी राशि अभी तक पूरी नहीं मिली है। मजदूरों को तो उनकी आधी ही मजदूरी दी गई है। मजदूर वर्ग रोज कमाता है और शाम को आकर उस राशि को खर्च भी कर देता है क्योंकि वह इतना नहीं कमा पाता कि बचत हो सके। जब उसने मजदूरी की तो पैसा मिलना था लेकिन तब आधा ही मिला। कई मजदूरों ने तो उधार लेकर अपना घर चलाया। अब उन्हें उधार की राशि चुकता करना है लेकिन सरकार से पैसा नहीं मिल पा रहा है। कुछ बचे हुए कार्य है वह भी उस समय बजट नहीं मिलने से रूक गए थे।
राज्य के लोगों का कहना है 2018 में बजट तो आया लेकिन मजदूरों को पुराना पैसा नहीं मिला था तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ इसलिए उक्त वर्ष में कम काम हुआ। इससे बजट की राशि पूरी खर्च नहीं हुई और लेप्स हो गई। कुछ यही स्थिति 2019 की भी रही और 2020 में कोरोना के कारण काम नहीं हो सके। सरकार यदि 2017 की राशि रिलीज कर दे तो मजदूरों का काफी फायदा होगा।
- वर्ष 2017 से मनरेगा का पैसा बंद है। फारूख मीर बारामूला नौशेरा से कह रहे हैं। 2011 से शुरू हुआ मनरेगा। जिन लोगों के पैसे बाकी थे उनके आधे पैसे ही रिलीज किए। श्रमिकों को काफी परेशानी हो रही है। मटेरियल का पैसा अभी तक नहीं दिया गया है। दिल्ली की सरकार को लेकर नाराजगी है।
- अब काम ही लगभग बंद हो गए हैं। हर साल सरकार बजट बनाते हैं, वेरिफिकेशन कराने की बात हुई लेकिन आज तक नहीं हुआ। 18 में लोगों ने भय के कारण काम नहीं किया तो लोगों ने काम नहीं किया जिससे पैसा वापस चला गया। इसके बाद से यहां स्थिति बिगड़ रही है।