भगवान परशुराम के श्राप ने कर्ण का जीवन बदल दिया

विहान हिंदुस्तान धर्म

क्या आप जानते हैं भगवान परशुराम ने धनुर्धर कर्ण को श्राप दिया था । भगवान परशुराम ने कर्ण को अपना शिष्य बनाया और उसको धनुर्विद्या का ज्ञान दिया। जब कर्ण भगवान परशुराम के पास आए थे तब उन्हें यह नहीं पता था कि वे एक क्षत्रिय कुल से हैं। एक दिन  आश्रम में कर्ण की गोद में भगवान परशुराम अपना सिर रखकर सो रहे थे कि  ​इतने में एक बिच्छू आता है और कर्ण की  जंघा को काटता है। कर्ण सोचते हैं कि मैं हिलूंगा तो मेरे गुरु की नींद टूट जाएगी। अतः वे बिच्छू को काटने देते हैं जिससे कि उनकी जांघ से खून निकलने लगता है और परशुराम जी  को खून छूने लगता है। परशुरामजी की नींद टूट जाती है और वे उस दृश्य को देखते है जिसमें कर्ण की जंघा खून से लाल हो गई है। वे सोचते हैं की ऐसा कर्म तो कोई क्षत्रिय ही कर सकता है। वे क्रोधित हो जाते हैं और कर्ण को श्राप देते हैं कि तुम एक क्षत्रिय हो और यह बात तुमने मुझसे छुपाई। मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि जब भी तुम्हें मेरी दी हुई विद्या की जरूरत होगी तब तुम भूल जाओगे कि मैंने तुम्हें क्या सिखाया था। इस श्राप के फलस्वरुप जब कुरुक्षेत्र में कर्ण और अर्जुन युद्ध के लिए आमने-सामने होते हैं उस समय कर्ण अपनी परशुराम द्वारा दी गई धनुर्विद्या को भूल जाते हैं। ..और यही उनकी हार का कारण बनता है।

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