कवियों ने योग मुद्रा में रचनाएं सुनाकर मनाया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

विहान हिंदुस्तान न्यूज

देश के साहित्यकारों-कवियों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर अपनी अनोखी प्रस्तुती दी। इन कवियों ने मनपसंद कला साहित्य मंच के तत्वावधान में आनलाइन प्रस्तुती देते हुए न सिर्फ योग किया बल्कि योग की मुद्रा में अपनी कविता का पाठ भी किया। इस तरह की अनूठी प्रस्तुती को काफी सराहा गया।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ये कवि एक ही समय पर आनलाइन आए और अपने प्रस्तुती के दौरान योग का एक आसन लगाकर रचनापाठ किया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री गणेश वंदना से संस्थापक अध्यक्ष जनार्दन शर्मा ने किया। अध्यक्ष ने सभी कवियों को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की बधाई दी। श्रीमती मनोरमा जोशी ने सरस्वती वंदना से मां का आह्वान किया। पहली प्रस्तुती श्रीमती प्रभा तिवारी ने दी जिन्होंने ताड़ासन मुद्रा में काव्य पाठ किया। श्रीमती सुषमा शुक्ला ने सुखासन में बैठकर योग के फायदे बताए। रायपुर से श्रीमती शुभा शुक्ला ने ध्यान के फायदे बताए। पुणे से दीना शाह ने योग मुद्रा में बैठकर रचना पाठ किया। बिहार से डॉ. मीना कुमारी परिहार ने चक्रासन के फायदे बताए। नागपुर के वरिष्ठ कवि श्री रविशंकर कोलते ने बढ़ती उम्र में योग का महत्व बताया तो पुणे से वरिष्ठ लेखिका श्रीमती पद्माक्षी शुक्ल ने योग पर सुंदर छंद लिखे। छत्तीसगढ़ कि साहित्यकारा श्रीमती इंद्राणी साहू ने योग पर कुण्डलिनी काव्य सुनाया। कोलकाता से कविता गुप्ता ने भी योग भगायें रोग पर रचना लिखी। बिहार से कौशल किशोर जी ने भी ताड़ासन का महत्व बताया। श्रीमती हेमा जैन ने वृक्षासन का सुंदर प्रदर्शन किया। श्रीमती संतोष तोषनीवाल ने प्राणायाम के महत्व को बताया जबकि हरिओम मौर्य ने गौमुख आसन के बारे में बताया। गरिमा लखनवी की रचना भी प्रभावी रही। कार्यक्रम का सफल संचालन जनार्दन शर्मा ने किया। अंत में श्रीमती संध्या राणे ने सुखासन में आभार व्यक्त किया।

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