कविता लिखने और सुनाने के जुर्म में दिया मृत्यु दंड.. आजादी का अमृत महोत्सव.. छायाचित्र प्रदर्शनी सम्पन्न.

इंदौर । गढा मंडला के शंकर शाह और रघुनाथ शाह ऐसे क्रांतिकारी हुए हैं जिन्हें ओजस्वी कविता लिखने और सुनाने के जुर्म में मौत की सजा सुनाई गई और इन दोनों क्रांतिकारियों को 18 सितंबर 1858 को फांसी पर चढ़ा दिया गया।
भीमाबाई इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर के दत्तक पुत्र यशवंत राव की पुत्री थीं। वे छापामार युद्ध की जानकर थीं। सन् 1817 में महीदपुर में अंग्रेजों से लडाई हुई। भीमाबाई छापे मारकर अंग्रेजों का खजाना और अन्य सामग्री लूटने लगी। सर मालकम एक बड़ी सेना लेकर भीमाबाई को खोजने निकला।. एक दिन उन्हें अपने अंगरक्षक के साथ घुड़सवारी करते समय अंग्रेज सैनिकों ने घेर लिया गया। मालकम के निकट पहुंचकर अचानक अपने घोड़े को जोर से एड लगाई और रानी का घोड़ा मालकम के सिर के ऊपर से गुजरते हुए घेरे को पार कर गया। इसके बाद रानी कहां गई, कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
बड़वानी रियासत में सितंबर 1858 में नर्मदा नदी के दक्षिण में विद्रोह का नेतृत्व करने वाले सीताराम कंवर को उनके साथियों के साथ बंदी बना लिया गया। शहीद कंवर का सिर कलम कर दिया गया। सीताराम कंवर के ही साथी खरगौन जिला के भिलाला जनजाति के रघुनाथ सिंह मंडलोई 1858 के विद्रोह मे शामिल हुए। उन्हें वीजागढ़ किले में मेजर कीटिंग ने धोखे से बंदी बना लिया।
मालवा निमाड़ के टंट्या भील उर्फ टंट्या मामा और भीमा नायक आज भी जनमानस में रचे बसे हैं। गरीबों, असहायों का सहारा और अन्याय के प्रतिकार टंट्या मामा ने 11 वर्षों तक ब्रिटिश सरकार और उनके शुभचिंतक साहूकारों और जमीदारों को हिलाकर रख दिया। उन्हें षड्यंत्रपूर्वक बंदी बना लिया गया तथा 4 दिसंबर 1889 को फांसी पर चढा दिया गया।
भील जनजाति के क्रांतिकारी जननायक भीमा नायक ने 1840 से 1864 तक अंग्रेजों के खिलाफ भील क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया। 1866-67 में उन्हें पकड़ने के लिया सघन अभियान चलाया गया और 2 अप्रैल 1867 को बंदी बना लिए गये। 1869 मे कारावास में उनकी मौत हो गई। धार जिले के अमझेरा के राजा राणा बख्तावर सिंह ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और अंग्रेज सेना पर हमला कर धार पर कब्जा कर लिया। 20 अगस्त 1857 को अंग्रेज सैनिकों ने घेरकर बंदी बना लिया। 10 फरवरी 1858 को उन्हें फांसी दे दी गई।
उपर्युक्त जानकारी भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो, इंदौर द्वारा महू स्थित अम्बेडकर स्मारक परिसर में आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर लगाई गई छायाचित्र प्रदर्शनी में चित्रमय दी गई है। स्वराज संचनालय के सहयोग से लगाई गई इस प्रदर्शनी में मध्यप्रदेश के क्रांतिकारी खंड में उपर्युक्त क्रांतकारियों की जानकारी के साथ अमरशहीद चंद्रशेखर आजाद, तात्या टोपे, रानी दुर्गावती, रानी अवंतिबाई, झलकारी देवी, सुभद्रा कुमारी चौहान और टुरिया शहीद मुड्डे बाई के चित्र के साथ जानकारी प्रदर्शित की.।
प्रदर्शनी में भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष, महात्मा गांधी का अभ्युदय, दांडी मार्च, सरदार वल्लभभाई पटेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस और स्वतंत्रता की ओर शीर्षक से करीब 120 छायाचित्र प्रदर्शित किए गए। अम्बेडकर नगर और अम्बेडकर स्मारक पर आने वाले अनेक लोगों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी के आयोजक क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो के सहायक निदेशक मधुकर पवार ने आश्वासन दिया कि वे उन्हें प्रदर्शनी की साफ्ट कॉपी उपलब्ध करा देँगे। तकनीकी सहायक दिलीपसिंह परमार ने आगंतुको को प्रदर्शनी का अवलोकन करवाया तथा जानकारी दी।

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