इंदौर के अर्जुन अवार्डी पहलवान कृपाशंकर पटेल ने भी लगाया भेदभाव का आरोप

कृपाशंकर पटेल फिल्म अभिनेता आमिर खान के साथ। फिल्म दंगल में कृपाशंकर ने ही आमिर खान को रेसलिंग के गुर सिखाए थे।

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज

इंदौर के अंतरराष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी और अर्जुन अवार्डी कृपाशंकर पटेल ने भी अपने साथ भेदभाव का आरोप लगाया है। पटेल का कहना है तदर्थ कमेटी और उससे पहले भारतीय कुश्ती संघ ने उन्हें साल 2023 में एक भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में नहीं भेजा है जिसके कारण यूनाइडेट वर्ल्ड रेसलिंग फेडरेशन ने रेफरी श्रेणी को डाउनग्रेड कर दिया है। आपको बता दें कृपाशंकर ने परीक्षा पास करके अंतरराष्ट्रीय रेफरी होने का गौरव भी प्राप्त किया है। वर्तमान में वे रेलवे की सीनियर महिला पहलवान टीम के कोच हैं और कपूरथला (पंजाब) में आयोजित शिविर में हिस्सा ले रहे हैं।

कुश्ती संघ पहले ही विवादों में पड़ा है जिसमें पूर्व अध्यक्ष ब्रिजभूषण शरण सिंह पर कई आरोप लगे हैं। इस बीच कृपाशंकर पटेल ने कुश्ती फेडरेशन एडहॉक कमेटी के अध्यक्ष भूपेंद्र बाजवा को मेल व वाट्सएप के जरिए अपनी भावनाओं से अवगत कराया है। भेदभाव के कारण आई निराशा के इस भाव को कृपाशंकर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिये भी वायरल किया है। विहान हिंदुस्तान डॉटकॉम ने इस पूरे मामले को लेकर कृपाशंकर पटेल से बात की तो उनका कहना था भारतीय कुश्ती संघ ने साल 2015-16 में मुझे रेफरशिप के लिए आगे बढ़ाते हुए कोर्स कराया था। मैंने कोर्स करने के साथ परीक्षा दी और सेकेंड कैटेगरी तक आ गया। मैं लगातार अपनी मेहनत कर रहा हूं। यदि मेरे साथ भेदभाव नहीं होता तो मैं ओलिंपिक में रैफरशिप करने की श्रेणी में आ जाता। पिछले दो सालों से मुझे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भेजा ही नहीं गया जिससे रेफरी श्रेणी को डाउनग्रेड कर दिया गया है। यदि यही हालत रही तो मैं तो रेफरी ही नहीं बच पाऊंगा क्योंकि मेरी पात्रता ही समाप्त हो जाएगी। दुख इस बात का होता है कि मुझे अवसर नहीं दिया गया न तो भारतीय कुश्ती संघ ने और न ही तदर्थ कमेटी ने। मैंने भूपेंद्र बाजवा को एक पत्र के माध्यम से अपनी समस्याओं से अवगत कराया है हालांकि अभी तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। कृपाशंकर पटेल ने यह भी कहा कि जिस स्थिति में अभी भारतीय कुश्ती का संगठन है वह पहलवानों के हित में नहीं है। पहलवान अपने देश के लिए खेलना चाहता है जिसके लिए मेहनत करता है। यदि इसमें भी राजनीति हावी हो जाएगी तो नुकसान तो पहलवान और देश का ही होना है।

म.प्र. के पहलवानों को डॉ. मोहन यादव से उम्मीद है…

म.प्र. में कुश्ती का स्तर तो काफी नीचे पहुंच गया है। लंबे समय से कुश्ती के खेल में विक्रम अवार्ड ही नहीं दिया जा सका है जिससे स्थिति को समझा जा सकता है। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि म.प्र. कुश्ती संघ के अध्यक्ष डॉ. मोहन यादव अब प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बन गए हैं जिनसे पहलवान काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं। डॉ. यादव से यह उम्मीद की जा रही है कि कम से कम कुश्ती में तो अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी म.प्र. दे। कुछ समय पहले तक म.प्र. कुश्ती में मुख्य कोच की जिम्मेदारी ओलिंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को दी गई थी लेकिन सुशील कुमार कई महीनों में एक या दो दिन ही म.प्र. आते थे। म.प्र. सरकार ने लाखों रुपये उन्हें वेतन भी दिया लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। बात यह भी उठती है कि ऐसे कोच क्या काम के जिन्हें पैसा तो खूब दिया जाता है लेकिन उनका उपयोग हमारे लिए शून्य रहता है। बतौर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस क्षेत्र में क्या कदम उठाते हैं इस पर सभी की नजर है।

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