किस्से क्रिकेट के : ‘बात चलती रही नेहरू स्टेडियम से लार्डस तक’


कीर्ति राणा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
मौका था किताब के विमोचन का, क्रिकेट के किस्से चले तो बात ‘नेहरू स्टेडियम से लार्डस’ तक पहुंच गई। चर्चा क्रिकेट की हो और मध्य प्रदेश और उसमें भी स्व माधवराव सिंधिया का जिक्र ना हो यह संभव नहीं। मंच पर जब बड़े महाराज का जिक्र चला तो छोटे महाराज भी उन्हें याद करते हुए भावुक हो गए।
क्रिकेट पर यह किताब लिखी है पांच वर्ल्ड कप के साथ विभिन्न देशों में मैच कवर करने के साथ ही इस खेल पर 8 हजार के करीब रिपोर्ट लिख चुके अशोक कुमट ने।नामचीन क्रिकेटरों वाला यह शहर हिंदी में क्रिकेट पर बेहतर लिखने वाले समीक्षकों, रिपोर्टरों और कमेंटेटरों की वजह से भी पहचाना जाता है। इन लिखने वालों में से एक अशोक कुमट की इस किताब के विमोचन अवसर पर कुमट की खेल पत्रकारिता का जिक्र करते हुए सुशील दोषी ने अंग्रेजी कहावत ह्यहर सफल आदमी के पीछे एक महिला होती हैह्ण वाली बात कही थी। ज्योतिरादित्य जब बोलने खड़े हुए तो यह कहावत दोहराते हुए वो महिला शब्द पर एक पल के लिए ठिठके तो हॉल ठहाकों से गूंज उठा, दूसरे ही पल उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा इस कहावत में संशोधन होना चाहिए, इसे यूं कहा जाना चाहिए कि सक्सेसफुल आदमी के पीछे विमेन नहीं सक्सेस फुल विमेन रहती है। उनकी इस बात पर जब हॉल तालियों से गूंज रहा था तब वे श्रीमती सरोज कुमट को भी मंच पर आमंत्रित कर रहे थे। चूंकि उस वक्त मंच पर अतिथियों जितनी ही कुर्सियां लगी थीं तो उन्होंने श्रीमती कुमट को आदर पूर्वक अपनी कुर्सी बैठने के लिए आफर कर दी, इस दौरान कुर्सी लगाई जा चुकी थी, तब भी उन्होंने कुमट दंपत्ति को अपने पास ही बैठाया।
क्रिकेट, कुमट और पिता माधवराव के तीन दशक से अधिक के रिश्तों की याद करते हुए सिंधिया बोले मेरे लिए आज का दिन सौभाग्यशाली तो है ही, भावुक दिन भी है, इसलिए कि कुमट का क्रिकेट के साथ मेरे पूज्य पिताजी के साथ 30-35 सालों तक साथ रहा है, इसीलिए मेरे लिए भावुक पल है।
मेरे पिताजी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इन्होंने काम किया। मैं किताब के लिए बधाई देने के साथ यह भी कहना चाहता हूं उनका ओपनिग बेट्समेन के रूप में पहला नॉक है।
क्रिकेटर संजय जगदाले ने कहा दो मिनट जितने कम समय में इन पर बोलना संभव नहीं। मैं तो पूरी किताब लिख सकता हू। तब का जमाना याद करते हुए कहा मैंने कुमट सर की कप्तानी में मैच खेले हैं । आज यह रहस्य भी बता देता हूं कि जब वो गेंद फेंकते थे तो एक ही ओवर में उनके कई रूप देखने को मिल जाते थे। वो क्रिकेट पर उतना ही अच्छा लिखते भी हैं, आज की पत्रकारिता में वैसी समझ नहीं है।
कमेंटेटर सुशील दोषी ने कहा ताज्जुब है एक कमेंटेटर को कम बोलने को कहा गया है। कुमट से हुई पहली मुलाकात याद करते हुए बोले ये साइकल साफ कर रहे थे, पहियों की एक एक ताड़ी साफ करते थे। स्कूटर भी इतनी ही बारीकी से साफ करते थे। सफाई के प्रति उनकी यह लगन बताती है कि क्रिकेट और लेखन के प्रति भी उनका यही जुनून रहा है। इनका आज जो व्यक्तित्व है इसके पीछे उनकी मेहनत तो है ही सरोज भाभी का भी कम योगदान नहीं है। पत्रकार अभिलाष खांडेकर ने कहा हमने साथ में खूब मैच कवर किए हैं। महाराज से कुमट जी ने 82 में मिलवाया था।
बोलने वालों में सब ने महाराज के संबोधन से ही ज्योतिरादित्य के प्रति अपना मान दशार्या। एक मात्र कुमट ने ही अपने संबोधन की शुरूआत उनका नाम लेकर की। संचालन कर रहे संजय पटेल ने सिंधिया का हवाला देते हुए पहले ही कम बोलने की ताकीद कर दी थी, वरना वक्ताओं का अधिकांश समय तो सिंधिया और अपने रिश्ते गिनाने में ही बीत जाता।
अपनी पत्रकारिता, क्रिकेट यात्रा और बड़े महाराज (माधवराव) से जुड़े रोचक किस्से सुनाते हुए अशोक कुमट ने ज्योतिरादित्य का आभार व्यक्त करने के साथ ही कहा बड़े महाराज ने ही मुझे खेल-क्रिकेट में आगे बढ़ाया। उन्होंने उस आखरी मुलाकात का जिक्र भी किया जब माधवराव ने उनसे प्लेन में साथ चलने के लिए कहा और पारिवारिक कारणों से वो जा न सके। मुंबई एयरपोर्ट पर ही उन्हें पुत्र मलय ने जानकारी दी कि महाराज वाला प्लेन क्रेश हो गया है।
ऐसी पहली किताब का प्रकाशन
स्कूली किताबों का प्रकाशन करते रहे यश भूषण जैन ने क्रिकेट पर हिंदी में लिखी इस किताब को (यशराज मार्कट्रेड इंडिया एलएलपी) ने प्रकाशित किया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर की छपाई-कागज-लेआउट वाली इस किताब के प्रकाशन पर अतिथियों ने प्रकाशक यश भूषण (पिंकी) जैन को बधाई दी। आईसीएआई भवन में हुए इस समारोह में क्रिकेट जगत की हस्तियों के साथ ही पत्रकार, साहित्यकार, खेल संगठनों के प्रतिनिधि और शिक्षाविद् इस समारोह में मौजूद थे। यूक्रेन में फंसे छात्रों को लाने के लिए सिंधिया का आनंद जैन, कीर्ति जोशी ने सीए इंस्टीट्यूट की तरफ से सम्मान किया। मलय कुमट ने सिधिया को स्मृति चिन्ह भेंट किया।

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