म.प्र. में उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा विभाग का एक ही हो सकता है मंत्री!

स्कूली शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक लेते सीएम डॉ. मोहन यादव।

विहान हिंदुस्तान न्यूज

म.प्र. में मंत्रीमंडल के नाम तय होने के साथ ही मंत्रियों को शपथ भी दिला दी गई है लेकिन अभी किस मंत्री को कौन सा विभाग दिया जाएगा इसकी सूची अभी आना है। दो दिन पहले हुई शपथ के बाद अभी तक मंत्रियों को विभाग नहीं दिया जाना चर्चा का विषय भी है। इस बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अलग-अलग विभागों की समीक्षा बैठक ले रहे हैं। आज सीएम ने स्कूली शिक्षा विभाग की बैठक ली जिसमें उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग व स्कूली शिक्षा विभाग के बीच तालमेल रहने की बात कही। उनके इस संदेश को देखकर माना जा रहा है कि वे एक ही मंत्री को दोनों विभागों का प्रभार दे सकते हैं। इससे पहले स्व. लक्ष्मणसिंह गौड़ के पास एक साथ दोनों ही प्रभार रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बैठक में स्कूली शिक्षा विभाग की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए तत्परता से कार्य करें। इसी के साथ मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा विभाग के बीच परस्पर तालमेल हो। असल में 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद छात्रों के लिए कॉलेजों में नए विषय लेने के लिए कई विकल्प बढ़ जाते हैं। साथ ही तकनीकी शिक्षा को लेकर भी अधिकांश छात्रों का रूझान रहता है। इन्हीं बातों को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव एक ही मंत्री को स्कूली व उच्च शिक्षा विभाग दे सकते हैं। फिलहाल डॉ. यादव के मंत्रीमंडल में कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो पूर्व में दोनों विभाग सके। अर्चना चिटनिस ही वह विधायक हैं जिन्होंने स्कूली शिक्षा व उच्च शिक्षा दोनों विभाग देखें हैं जिससे उन्हें इस दायित्व सौंपा जा सकता था लेकिन उन्हें मंत्री पद ही नहीं दिया गया। तकनीकी शिक्षा का मंत्री हर बार अलग ही रखा गया है जिससे यह विभाग किसी और को दिया जा सकता है। उच्च शिक्षा विभाग तो पिछली सरकार में डॉ. मोहन यादव ने खुद ही देखा था जिससे उन्हें इस विभाग की काफी जानकारी भी है। बैठक में डॉ. मोहन यादव ने स्कूली शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड के बीच तालमेल को लेकर भी बात कही। देखने में यह आता है कि परीक्षा के दौरान सही तालमेल नहीं होने पर कई जगह काफी दिक्कते जाती हैं।

भ्रष्टाचार को लेकर भी मुख्यमंत्री को रखना होगा ध्यान..

यह देखने में आया है कि म.प्र. में स्कूली शिक्षा विभाग और उच्च शिक्षा विभाग में काफी भ्रष्टाचार और घोटालेबाजी होती है। स्कूलों में तो कुछ अफसर एक ही पद पर सालों से जमे हैं। कुछ प्राचार्य तो बड़े बजट वाले स्कूलों में अंगद के पैर की तरह जमें हुए हैं। ये खुलकर भ्रष्टाचार करते हैं। खास बात तो यह है कि इनकी शिकायते जहां जाती हैं उन अफसरों को भी इन्होंने संभाले रखा है। बचा हुआ काम शिक्षा माफिया कर देते हैं जिनकी विभाग में रसूखदारी चलती है। देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव इन भ्रष्टाचारियों से कैसे निपटते हैं? वैसे इस मर्तबा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान म.प्र. पर विशेष रूप से है जिससे दिल्ली के निर्देश पर भी सख्त कार्रवाई संभव है।

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