मधु और तुलसी का मिला साया, कईयों को देने की तैयारी में है ये अपनी छाया
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मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
राजनीति में किसी भी बात का अंत नहीं होता यह कटु सत्य है। दशकों से कांग्रेस की राजनीति करते आए तुलसी सिलावट का उम्र के इस पढ़ाव में आकर पार्टी से मोहभंग हो गया और वे भाजपा में शामिल हो गए। ज्योतिरादित्य सिंधिया की अंगुली पकड़कर भाजपा में आए सिलावट के सामने कई स्थानीय नेताओं की चुनौतियां थी। ऐसे समय उन्हें अपने बाल सखा मधु वर्मा का साथ मिल गया। मधु वर्मा अपनी मेहनत लगन से पार्टी के लिए काम तो करते रहे लेकिन लंबे समय तक इन्हें वह मुकाम नहीं मिल सका जिसकी उन्हें तलाश थी। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट तो दिया लेकिन जीत नसीब नहीं हुई। इनकी नाव भी दो नंबर से अलग होकर राऊ में ही टिक गई थी। चुनाव हारने के बाद कई लोग यह मान रहे थे कि मधु की नाव का अब राऊ में ही लंगर डला रह जाएगा।
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Editor in Chief
समीकरण बदले और जो मधु वर्मा किसी समय पर कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला व कृष्णमुरारी मोघे के खास हुआ करते थे अब वे तुलसी के करीबी हो गए हैं। मंत्रीजी के साथ मिलकर मधु वर्मा लोगों की काफी मदद कर रहे हैं। तुलसी सिलावट के पार्टी में आने और मंत्री बन जाने से मधु वर्मा की भी इम्युनिटी स्ट्रांग हो गई। कुछ यही हाल तुलसी का भी है जिन्हें मधु के रूप में शानदार सारथी मिला। वैसे भी मधु अच्छे सारथी माने जाते हैं जिन्होंने समय पड़ने पर सुमित्रा महाजन, कृष्णमुरारी मोघे व मालिनी गौड की नैया पार लगाने में विशेष सहयोग किया। अब तुलसी-मधु की एकजुटता भाजपा के कई दिग्गजों की नींद हराम करने लग गई है। दोनों ही नेता अपनी स्पेशल क्वालिटी के लिए पहचाने जाते हैं। यदि भारतीय बल्लेबाजों का उदाहरण देकर समझे तो तुलसी वीरेंद्र सहवाग हैं जबकि मधु राहुल द्रविड़ की तरह हैं। यह काम्बिनेशन राजनीति में किसी जोड़ी में मिल जाए तो विरोधियों की नींद तो उड़ना स्वाभाविक ही है। एक बात जरूर है इस तरह का काम्बिनेशन कितने लंबे समय तक चल पाता है उसके मायने अलग होंगे। इन दोनों के साथ होने से इंदौर की भाजपाई राजनीति में नया गुट खड़ा हो रहा है। तुलसी ने लंबे समय तक गांव की राजनीति की तो वे परिपक्व हैं जबकि मधु शहरी क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय रहे हैं और इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष पद भी उनके लिए विकास पुरुष के रूप में पहचान दिलाने वाला रहा था।
यह माना जा रहा है कि इस धड़े को सांसद शंकर लालवानी का भी भरपूर सहयोग मिलेगा क्योंकि उन्हें भी एक सहारे की तलाश है। बात यदि बड़े नेताओं की करें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का तुलसी पर अटूट विश्वास है और तुलसी ने इस विश्वास को हर परीक्षा में कायम भी रखा है। मधु व शंकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की गुड लिस्ट में हैं। ऐसे में शिवराज का पूरा सहयोग इस त्रिवेणी को मिलने की संभावना है। यह त्रिवेणी फलेगी-फूलेगी तो इसकी छांव में आने के लिए कई चेहरे तैयार भी होंगे जो किसी गुट में हुआ करते थे लेकिन वह गुट प्राय: समाप्त हो गया या फिर किसी कारणवश उसे बाहर होना पड़ा। तुलसी जहां अपनी टीम बनाने में विशेषज्ञ हैं तो मधु टीम को संभाले रखने में निपुर्ण हैं। यह टीम आगे कैसा प्रदर्शन करेगी और कौन-कौन इनके साथ शामिल होंगे यह तो समय ही बताएगा लेकिन आने वाले नगर निगम चुनाव इनके लिए पहली परीक्षा होंगे यह तय है।