महिला एवं बाल विकास विभाग : जब जांच होने लगी तो वसूली करने लगा विभाग
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सरकारी अमले में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता। अब महिला एवं बाल विकास विभाग के कुछ जिलों की कारस्तानी देखें तो सरकारी कामकाज का मखौल उड़ना स्वाभाविक है। पोषण आहार वितरण की जांच के लिए भारत सरकार की टीम ने जब पाया कि करोड़ों रुपयों की अनियमितता हुई है तो कुछ जिले स्वत: ही वसूली करने उतर आए। एक जिले ने तो पिछली रिपोर्ट की वसूली करना शुरू की और नई जांच की राशि लेना बताया गया। जब जांच टीम ने हड़काया तो संबंधित अफसर बगले झांकने लग गए। जांच विशेष रूप से धार, उमरिया व खरगोन में की गई थी।
पूरक पोषण आहार के वितरण की राशि में जो घपले हुए है उसका मामला तब सामने आया जब कुछ समय पहले दिल्ली भेजी गई रिपोर्ट पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसर हैरान-परेशान हो गए। जांच एजेंसी ने धार, खरगोन व उमरिया में अगस्त 2017 में जांच की थी। एसएनएप योजना से संबंधित अभिलेखों से जांच की जिसमें पाया कि प्रदाय की गई सामग्री कॉस्टप्लस फार्मूले के तहत तैयार नहीं की गई थी। एसएनएप के बिलों की जांच में पता चला कि दिसंबर 2015 से सितंबर 2017 के बीच 109607964 हितग्राही को एसएनएप की सामग्री प्रदान की गई थी जिसके लिए 38.36 करोड़ रुपयों का भुगतान किया गया था। महिला बाल विकास मध्यप्रदेश सरकार के निर्देश फरवरी 2014 के अनुसार समान संख्या के हितग्राहियों के लिए गणना 35.94 करोड़ रुपये हुई थी लेकिन भुगतान 38.36 करोड़ रुपयों का हुआ। इस प्रकार 2.41 करोड़ रुपयों का ज्यादा भुगतान किया गया।
खास बात तो यह है कि जांच के बाद विभाग ने कहा हमने वसूली शुरू कर दी है। जांच एजेंसी ने कहा जब हमने जांच की तब आप वसूली करने लगे। एजेंसी ने कहा हम बताएंगे कि कितनी वसूली करना है। धार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने कहा हम दस किश्तों में वसूली करेंगे। उमरिया ने कहा हमने 56.53 लाख रुपयों की वसूली कर ली है तथा शेष राशि की वसूली भी जल्द कर लेंगे। जांच एजेंसी ने कहा यह वसूली स्वीकार्य नहीं है क्योंकि जो वसूली की गई है वह पुरानी है, इस प्रकरण से संबंधित नहीं है। स्पष्टीकरण के लिए भोपाल स्थित विभाग के मुख्यालय को भी जानकारी दी गई लेकिन वहां से उत्तर नहीं आया। डीपीओ खरगोन ने भी 9.36 लाख रुपये की वसूली करने की बात कहीं। वैसे धार से 12.13 करोड़ रुपयों की वसूली हो गई, खरगोन में 18.71 करोड़ रुपयों की तथा उमरिया में 5.10 करोड़ रुपयों की वसूली हुई है।
यहां इतने हितग्राही थे
धार के लिए 2016 से 2017 के दौरान 36975092 हितग्राहियों पर १3.7 करोड़ रुपये, खरगोन में 2016 से 2017 के दौरान 56899459 हितग्राही पर 19.7 करोड़ रुपयों तथा उमरिया में 2015 से 2017 के बीच में 15733413 हितग्राही 5.74 करोड़ रुपये खर्च होना थे।
बच्चों से लेकर गभर्वती महिलाओं तक ..
पूरक पोषण आहार के तहत छह माह से छह वर्ष की आयु के बच्चों को ताजा पका हुआ नाश्ता व दोपहर का भोजन तथा कम वजन के बच्चों के लिए थर्ड मील दिया जाना था। गर्भवती महिला व घाती माताओं तथा किशोरियों को भी प्रति मंगलवार को दोपहर का भोजन प्रदाय किया जाना था। महिला बाल विकास विभाग मध्यप्रदेश भोपाल में राज्य की आंगनवाड़ी, उप आंगनवाड़ी केंद्रों को पूरक पोषण आपूर्ति के लिए फरवरी 2014 को निर्देश जारी किए गए थे। निर्देश में यह शर्त थी कि एस.एन.एम की आपूर्ति के लिए स्वयं सहायता समूह जिम्मेदार होंगे। नाश्ते व दोपहर के भोजन तथा थर्ड मील के भोजन के लिए दरों का उल्लेख निर्देश के बिंदु क्रमांक 1.10 में किया गया था। बिंदु सीरियल 5.1, बिंदु 5.2 में ईधन के परिवहन-प्रबंधन प्रति आंगनवाड़ी 500 रुपये प्रतिमाह और बिंदु 5.3 में रसोईयों को प्रति आंगनवाड़ी 500 रुपयों का भुगतान एच.एस.सी नागरिक आपूर्ति निगम को करना था। एस.एच.जी को गेंहू व चावल की पूर्ति के लिए तथा रसोईयों को दिए जाने वाले भुगतान का उल्लेख किया गया था। संचालनालय एकीकृत बाल विकास सेवाएं भोपाल ने स्पष्ट किया है अक्टूबर 2015 की आंगनवाड़ी केंद्रों में एसएनएप के अंतर्गत प्रदाय की जाने वाली सामग्री की दरों का निर्धारण कॉस्टप्लस फार्मूले के आधार पर किया जाना चाहिए तथा निर्धारित दर में खाना पकाना, कच्चा माल गेंहू-चावल उसके परिवहन और पारिश्रमिक प्रबंधिक का व्येय, लाभांश रसोईया ईधन आदि एनएप पर शामिल होंगे। निर्देश में यह भी कहा गया कि दरें फरवरी 2014 के निर्देश अनुसार होना चाहिए।
2 से 7 रुपये प्रति व्यक्ति
निर्देश के अनुसार नाश्ते की दर 2 रुपये प्रति व्यक्ति, दोपहर के भोजन पर 4 रुपये प्रति व्यक्ति, 3 से 6 वर्ष आयु के बच्चों के लिए थर्ड मील का 3 रुपये प्रति बच्चा, 6 माह से 6 वर्ष के बच्चों के भोजन के लिए 7 रुपया प्रति बच्चा, गर्भवती व घाती माता व किशोरियों के लिए भी 7 रुपये था।