मंडी में सब्जी का आडिट, साहब के थैले में गिराओं सब्जियां
Munish Sharma, Editor in Chief, Vihan Hindustan
लोकल फंड आडिट का एक अफसर पैसों पर या अपने फायदे पर गिद्ध दृष्टि डालकर बैठ जाने के लिए विभाग में मशहूर है। उसके बारे में यह प्रसिद्ध है कि कैसे भी करके कमाई तो कर ही लेता है। आपको बता दें यह अफसर प्रदेश के अन्य क्षेत्र में आज भी ‘गुल’ खिला रहा है। जब यह इंदौर में पदस्थ था तब चोइथराम सब्जी मंडी पर इनके नाम का एक थैला रखा रहता था। जो भी सब्जी लेकर निकलता वह कुछ हिस्सा इसमें डालता खासकर सब्जियों का। गिलकी लेकर जाने वाले दो-दो गिलकी डालता तो गोभी लेकर जाने वाले भी अपना योगदान देते। किसान, जो सब्जी लेकर निकलता उसका “घूसिया ऑडिट” यहां होता था। अमूमन हर दूसरे दिन यह थैला मंडी के गेट पर रखा जाता था और जब यह भरा जाता तो साहब की जीप का ड्राइवर इसे लेकर घर पहुंच जाता था। हां, साहब के घर पर तो कुछ सब्जियां उतर जाती थी लेकिन बची हुई सब्जी एक ऐसे घर में जाती थी जहां साहब का कोई विशेष ही रहता था। यह भी बता दें साहब कई बार दौरे के नाम पर यहां रूक भी जाते थे यानि यहां की बनी सब्जी भी टेस्ट करते थे।